(1897-1960 ई.)
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन का जन्म मध्यप्रदेश के राजापुर परगने के मदाना ग्राम में हुआ। उच्च शिक्षा कानपुर में हुई। ये गणेश शंकर विद्यार्थी के दैनिक पत्र 'प्रताप एवं 'प्रभा के संपादन से जुडे रहे। राष्ट्रीय आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता और लोकसभा के सदस्य रहे। 'अपलक, 'कुंकुम, 'क्वासि और 'रश्मिरेखा इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं। 'उर्मिला खंड काव्य है। भाषा बोलचाल की है, जिसमें प्रवाह और ओज है।
हिंदुस्थान हमारा है
कोटि-कोटि कंठों से निकली
आज यही स्वर-धारा है,
भारतवर्ष हमारा है, यह
हिंदुस्थान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहले जागे,
नव-सिरजन के स्वप्न घने,
जिस दिन देश-काल के दो-दो,
विस्तृत विमल वितान तने,
जिस दिन नभ में तारे छिटके,
जिस दिन सूरज-चांद बने,
तब से है यह देश हमारा,
यह अभिमान हमारा है।
जबकि घटाओं ने सीखा था,
सबसे पहले घहराना,
पहले पहल हवाओं ने जब,
सीखा था कुछ हहराना,
जबकि जलधि सब सीख रहे थे,
सबसे पहले लहराना,
उसी अनादि आदि-क्षण से यह,
जन्म-स्थान हमारा है।
जिस क्षण से जड रजकण गतिमय,
होकर जंगम कहलाए,
जब विहंसी प्रथमा ऊषा वह,
जबकि कमल-दल मुस्काए,
जब मिट्टी में चेतन चमका,
प्राणों के झोंके आए,
है तब से यह देश हमारा,
यह मन-प्राण हमारा है।
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217