Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

हिन्दी के कवि

दूलनदास

(1660-1778 ई.)

दूलनदासजी का जन्म लखनऊ के पास समेसी ग्राम में हुआ। ये जाति के क्षत्रिय थे तथा गृहस्थ थे। ये जगजीवन साहब के पट्टशिष्य थे। इन्होंने 'धर्मो नाम का एक ग्राम भी बसाया। इनका सारा समय साधु-संगत, भजन-कीर्तन और उपदेश देने में व्यतीत होता था। इन्होंने साखी और पद लिखे हैं। भाषा में भोजपुरी का मिश्रण है। अन्य संतों की भाँति गुरुभक्ति, समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम तथा निर्गुण निराकार परमात्मा की प्राप्ति यही इनके उपदेश हैं।

पद

साँई तेरे कारन नैना भये बिरागी।
तेरा सत दरसन चहौं, और न माँगी॥

निसु बासर तेरे नाम की, अंतर धुनि जागी।
फेरत हौं माला मनौं, ऍंसुवनि झरि लागी॥

पलक तजी इस उक्ति तें, मन माया त्यागी।
दृष्टि सदा सत सनमुखी, दरसन अनुरागी॥

मदमाते राते मनौं, दाधै बिरहागी।
मिलु प्रभु 'दूलनदास के, करु परम सुभागी॥

देख अयों मैं तो साँई की सेजरिया।
साँई की सेजरिया सतगुरु की डगरिया॥

सबदहिं ताला सबदहिं कुंजी, सबद की लगी है जँजिरिया।
सबद ओढना सबद बिछौना, सबद की चटक चुनरिया।
सबद सरूपी आप बिराजें, सीस चरन में धरिया।
'दूलनदास भजु साँई जगजीवन, अगिन से अहँग उजरिया॥

राम तोरी माया नाचु नचावै।
निसु वासर मेरो मनुवाँ ब्याकुल, सुमिरन सुधि नहिं आवै॥

जोरत तुरै नेह सुत मेरो, निरवारत अरुझावै।
केहि बिधि भजन करौं मोरे साहिब, बरबस मोहिं सतावै॥

सत सनमुख थिर रहे न पावै, इत-उत चितहिं डुलावै।
आरत पँवरि पुकारौं साहिब, जन फिरि यादहिं पावै॥

थाकेउँ 'जनम-जनम के नाचत, अब मोहि नाच न भावै।
'दूलनदास के गुरु दयाल तुम, किरपहिं ते बनि आवै॥

जोगी चेत नगर में रहो रे।
प्रेम रंग रस ओढ चदरिया, मन तसबीह महोरे॥

अंतर लाओ नामाहिं की धुनि, करम भरम सब घोरे॥
सूरत साधि गहो सत मारग, भेद न प्रगट कहो रे॥
'दूलनदास के साँई जगजीवन, भवजल पार करो रे॥
ऐसो रंग रँगैहौं मैं तो मतवालिन होइहौं॥
भट्टी अधर लगाइ, नाम की सोज जगैहौं।

पौन सँभारि उलटि दै झोंका, करवट कुमति जलैहौं॥
गुरुमति लहन सुरति भरि गागरि, नरिया नेह लगैहौं।
प्रेम नीर दै प्रीति पुजारी, यही बिधि मदबा चुबैहौ॥
अमल ऍंगारी नाम खुमारी, नैनन छबि निरतैहौं।
दै चित चरन भयूँ सत सन्मुख, बहुरि न यहि गज ऐहौं॥
ह्वै रस मगन पियों भर प्याला, माला नाम डोलैहौं।
कह 'दूलन सतसाईं जगजीवन, पिउ मिलि प्यारी कहैहौं॥

 

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217