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हिन्दी के कवि

गोपालसिंह नेपाली

(1913-1963 ई.)

गोपालसिंह नेपाली का जन्म चम्पारन जिले के बेतिया नामक स्थान में हुआ। इन्होंने प्रवेशिका तक शिक्षा प्राप्त की, कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और फिल्मों के गीत लिखे। कविता क्षेत्र में नेपाली ने देश-प्रेम, प्रकृति-प्रेम तथा मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है। मुख्य काव्य संग्रह हैं- 'उमंग, 'पंछी, 'रागिनी तथा 'नीलिमा।

दीपक जलता रहा रातभर
तन का दिया, प्राण की बाती,
दीपक जलता रहा रातभर।
दु:ख की घनी बनी ऍंधियारी,
सुख के टिमटिम दूर सितारे,
उठती रही पीर की बदली,
मन के पंछी उड-उड हारे।
बची रही प्रिय की ऑंखों से,
मेरी कुटिया एक किनारे,
मिलता रहा स्नेह रस थोडा,
दीपक जलता रहा रातभर।
दुनिया देखी भी अनदेखी,
नगर न जाना, डगर न जानी;
रंग देखा, रूप न देखा,
केवल बोली ही पहचानी,
कोई भी तो साथ नहीं था,
साथी था ऑंखों का पानी,
सूनी डगर सितारे टिमटिम,
पंथी चलता रहा रातभर।
अगणित तारों के प्रकाश में,
मैं अपने पथ पर चलता था,
मैंने देखा, गगन-गली में,
चाँद सितारों को छलता था।
ऑंधी में, तूफानों में भी,
प्राण-दीप मेरा जलता था,
कोई छली खेल में मेरी,
दिशा बदलता रहा रातभर।

 

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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