Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

हिन्दी के कवि

जगदीश चतुर्वेदी

(जन्म 1933 ई.)

जगदीश  चतुर्वेदी का जन्म ग्वालियर, मध्यप्रदेश में हुआ। उज्जैन में एम.ए. करने के बाद कुछ वर्ष अध्यापन किया। ये केंद्रीय हिन्दी निदेशालय में उपनिदेशक एवं 'भाषा तथा 'वार्षिकी के सम्पादक रहे। इनके छ: कविता-संग्रह, सात कहानी-संग्रह, नाटक तथा समीक्षा ग्रंथ प्रकाशित हैं। 20 पुस्तकें सम्पादित हैं। इनकी रचनाएं सभी भारतीय भाषाओं, अंग्रेजी, पोलिश आदि में अनूदित हैं। इन्हें 'सूर पुरस्कार, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार तथा 'प्रियदर्शिनी पुरस्कार मिले।

समाधिस्थ
गुम्बदों पर अंधेरा ठहर गया है
एक काली नदी बहती है अंतस्तल के
निबिड अंधकार में।

कगारों पर पडे हैं कटे हुए परिंदों के अनगिनत पंख
और उन पगचिह्नों के निशान
जो शांति की खोज में निर्वासित घूमते रहे।

इतना वक्त नहीं रहा है अब कि इतिहास को
मुट्ठी में कैद किया जाए

चिनार के दरख्तों से घायल संगीत की लहरें उठती हैं
और तलहटी में फैल जाती हैं
कुछ अश्वारोही जो निकले थे दिग्विजय करने
अपने अश्वों के नथुनों से लगातार निकलते फेन को देखकर
मर्माहत हो गए हैं।

एक समय जो विश्वजेता होता है
वो दूसरे क्षण कितना निरीह हो जाता है
जैसे घायल नेपोलियन जंग से टूटा हुआ लौटा हो
और फौजी डॉक्टर के हाथों में
मासूम बच्चा बन गया हो।

कितने ही युध्द शरीर पर छोड देते हैं निशान
और घाव भरने के साथ
र्ईष्या और शत्रुता के कई गहरे घाव
अपने आप कुंद हो जाते हैं।
कितने ही तवारीख के पन्ने केवलर् ईष्या से भरे हैं
सच लगता है कि केवल गौतम बुध्द
जोर् ईष्या और रोग और आभिजात्य के
नकली मुखौटों से मुक्ति पा सका था

सुख भी उतना ही तकलीफदेह है जितना दु:ख
सुख भी बहुत अकेला कर जाता है
मानो दु:ख के समय
किसी आत्मीय की सांत्वना के अभाव में
सिसकता हुआ एक रोगी कक्ष।

शांति के वृक्षों को तलाशते हुए
कई संत शरीर और नदियों के पाट
दीमक और काई के शिकार हो गए
पर शांति न मिली
किसी प्रकृति या वनखण्ड या वातावरण से
पराङ्मुख होकर
शांति खडी उसका इंतजार करती रही
एक अंधेरी नदी के किनारे
जहां कनेर के लाल फूलों पर कोयलकूक रही थी
और
चम्पा का लम्बा दरख्त
सिर पर गिरा रहा था
गोल, चमकीले, श्वेत, चम्पई फूल।
***
ताजे गुलाब का उन्माद
मैंने गुलाब को छुआ
और उसकी पंखुडियां खिल उठीं
मैंने गुलाब को अधरों से लगाया
और उसकी कोंपलों में ऊष्मा उतर आई।

गुलाब की आंखों में वसंत था
और मेरी आंखों में उन्माद
मैंने उसे अपने पास आने का आह्वान दिया
और उसने
अपने कोमल स्पर्श से मेरी धमनियों में
स्नेह की वर्षा उडेल दी।

अब गुलाब मेरे रोम-रोम में है
मेरे होठों में है
मेरी बांहों में है
और उसकी रक्तिम आभा
आकाश में फैल गई है

और
बिखेर गई है मादक सुगंध
अवयवों में
और उगते सूरज की मुस्कराहट में

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217