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हिन्दी के कवि

केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'

(1907-1984 ई.)

केदारनाथ मिश्र 'प्रभात का जन्म बिहार के आरा जिले में हुआ। उच्च शिक्षा पटना में हुई। बिहार राज्य के पुलिस विभाग में सेवा की। इनके मुख्य गीत-संग्रह हैं- 'शुभ्रा, 'श्वेत नील, 'कलापिनी, 'कम्पन, 'ॠतम्भरा तथा 'बैठो मेरे पास। अंतिम दो संग्रह बिहार तथा उ.प्र. सरकार द्वारा पुरस्कृत हुए। 'कैकेयी, 'तप्त गृह तथा 'कर्ण इनके प्रबंध-काव्य हैं। इन्होंने प्रचुर बाल साहित्य भी लिखा।

देवता की याचना

इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ
तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो।
नीला-नीला विस्तार, हिलोरों में यों ही बहता हूँ
सूनी-सूनी झंकार, न जाने क्यों उदास रहता हूँ
यह अमृत चाँद का तनिक न अच्छा लगता
प्रिय! तुम अपनी रसवंती प्यास मुझे दो।
कण-कण में चारों ओर छलकती नृत्य-चपल मधुबेला
झूमे-बेसुध सौंदर्य, लगा है मधुर रूप का मेला
ऐसी घडियों का व्यंग न सह पाता हूँ
तुम अपने प्राणों का उच्छ्वास मुझे दो।
नंदन के चंदन से शीतल छंदों की क्यारी-क्यारी
सब कुछ देती, देती न मुझे मैं चाँ जो चिनगारी
रम जाऊँ मैं जिसके अक्षर-अक्षर में
वह गीली पलकों का इतिहास मुझे दो।
यह देश तुम्हारे लिए बसाया मैंने सुघर-सलोना
कोमल पत्तों के बीच जहाँ ओसों का चाँदी-सोना
उतरूँगा सुख से मैं अंकुर-अंकुर में
तृण-तरु में मिलने का विश्वास मुझे दो।

सुनो हुआ वह शंख-निनाद

सुनो हुआ वह शंख-निनाद!
नभ में गहन दुरूह दुर्ग का
द्वार खुला कर भैरव घोष,
उठ मसान की भीषण ज्वाला
बढी शून्य की ओर सरोष
अतल सिंधु हो गया उस्थलित
काँप उठा विक्षुब्ध दिगंत
अट्टहास कर लगा नचाने
रक्त चरण में ध्वंसक अंत!
सुनो हुआ वह शंख-निनाद!
यह स्वतंत्रता का सेवक है
क्रांति मूर्ति है यह साकार
विश्वदेव का दिव्य दूत है
सर्वनाश का लघु अवतार
प्रलय अग्नि की चिनगारी है
सावधान जग ऑंखें खोल
देख रूप इसका तेजोमय
सुन इसका संदेश अमोल
सुनो हुआ वह शंख-निनाद!

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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