(1859-1935 ई.)
नाथूराम शर्मा का जन्म अलीगढ जिले के हरदुआगंज नामक स्थान में हुआ तथा इन्होंने आजीवन वहीं निवास किया। ये हिन्दी, उर्दू, फारसी और संस्कृत के अच्छे ज्ञाता थे तथा बचपन से ही कविता करते थे। इन्होंने रीतिकालीन परंपरा में 'अनुराग-रतन तथा 'शंकर-सरोज लिखे हैं। फुटकर कविताओं का संग्रह 'शंकर-सर्वस्व के नाम से 1951 में प्रकाशित हुआ। 'शंकर महाकवि कहलाए। इन्हें 'भारत-ब्रजेंदु तथा 'साहित्य-सुधाकर की उपाधियाँ मिलीं।
पद
ऑंख से न ऑंख, लड जाय इसी कारण से,
भिन्नता की भीत, करतार ने लगाई है।
नाक में निवास करने को कुटी 'शंकर की,
छबी ने छपाकर की छाती पै छवाई है॥
कौन मान लेगा कीरतुण्ड की कठोरता में,
कोमलता तिल के प्रसून की समाई है।
सैकडों नकीले कवि, खोज-खोज हारे पर,
ऐसी नासिका की और उपमा न पाई है॥
आनन की ओर चले आवत चकोर मोर,
दौर-दौर बार-बार बेनी झटकत हैं।
बैठ-बैठ 'शंकर उरोजन पै राजहंस,
हार के तार तोर-तोर पटकत हैं॥
झूम-झूम चखन को चूम-चूम चंचरीक,
लटकी लटन में लिपट लटकत हैं।
आज इन बैरिन सों बन में बचावै कौन,
अबला अकेली में अनेक अटकत हैं॥
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217