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हिन्दी के कवि

उदयशंकर भट्ट

(1898-1966 ई.)

उदयशंकर भट्ट का जन्म इटावा नगर में हुआ। इनके पितामह तथा पिता संस्कृत के विद्वान थे। घर में बातचीत तक संस्कृत में होती थी। इसका प्रभाव उदयशंकर भट्ट पर पडा। इन्होंने लाहौर में अध्यापन कार्य किया। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया तथा आकाशवाणी में परामर्शदाता रहे। इन्होंने विपुल साहित्य की रचना की। इनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं- 'राका, 'विसर्जन, 'अमृत और विष, 'युगदीप, 'इत्यादि, 'मुझ में जो शेष है आदि। इनके अतिरिक्त 'तक्षशिला, 'कौन्तेय कथा, 'मानसी (खंड काव्य) 'कालिदास, 'एक नीड दो पंछी (उपन्यास) तथा 'मुक्तिदूत आदि अनेक नाटक लिखे।

मैं चलता

मैं चलता मेरे साथ नया सावन चलता है,
मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।

उत्थान पतन-कंदुक पर मैं गिरता और उछलता,
सांसों की दीपशिखा में लौ सा यह जीवन जलता,
धूमायित अगुरु सुरभि-सा मैं छीज रहा  पल-पल,
मेरी वाणी के स्वर में सागर भरता निज सम्बल,

मैं चलता मेरे साथ 'अहं गर्जन चलता है।
मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।

मैं चलता रवि-शशि चलते किरणों के पंख सजाकर,
भू चलती सतत प्रगति-पथ नदियों के हार बनाकर,
झरने झर-झर-झर चलते भर-भर बहतीं सरिताएं,
दिन रात चला करते हैं, चलते तरुवर, लतिकाएं,

मैं चलता मेरे साथ प्रकृति कानन चलता है,
मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।

मैं चलता भीतर-भीतर दिल की दुनिया चलती है,
कल्पना-किरण आभाएं अंतर-अंतर पलती हैं,
उसके भीतर भी जीवन का ज्वार उठा करता है,
उस जीवन में जीवन का अधिकार उठा करता है,
उस अविक्षेप का इंगित बन बंधन चलता है,

मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।
मैं चलता मेरे साथ-साथ साहस चलता है,

मैं चलता मेरे साथ हृदय का रस चलता है,
मैं चलता मेरे साथ निराशा, आशा चलती है,
मैं चलता मेरे साथ सृजन की भाषा चलती,
मैं चलता मेरे साथ ग्रहण, सर्जन चलता है,
मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।
मैं चलता मेरे साथ जाति, संस्कृति चलती है,
मैं चलता मेरे साथ संचिता स्मृति चलती है,
मैं चलता मेरे साथ कुसुम का स्मय चलता है,
मैं चलता मेरे साथ विश्व-विस्मय चलता है,
मैं चलता मेरे साथ गगन वाहन चलता है,
मैं चलता मेरे साथ नया जीवन चलता है।

 

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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