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हे प्रभु ! यह तेरी कैसी लीला है

सौरभ कुमार

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हे प्रभु ! यह तेरी कैसी लीला है

हे प्रभु ! यह तेरी कैसी लीला है।
भाग ले कर भी मैं अभागा हूँ।
आनंद नहीं, निरानन्द नहीं, शोक की छाया हूँ।
जीवन भर बैठा रहा कभी न चल पाया हूँ।
हे प्रभु ! यह तेरी कैसी लीला है।

 

  सौरभ कुमार का साहित्य  

 

 

 

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