Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस

रामचरित मानस

अयोध्याकाण्ड

अयोध्याकाण्ड पेज 45

मोहि उपदेसु दीन्ह गुर नीका। प्रजा सचिव संमत सबही का।।
मातु उचित धरि आयसु दीन्हा। अवसि सीस धरि चाहउँ कीन्हा।।
गुर पितु मातु स्वामि हित बानी। सुनि मन मुदित करिअ भलि जानी।।
उचित कि अनुचित किएँ बिचारू। धरमु जाइ सिर पातक भारू।।
तुम्ह तौ देहु सरल सिख सोई। जो आचरत मोर भल होई।।
जद्यपि यह समुझत हउँ नीकें। तदपि होत परितोषु न जी कें।।
अब तुम्ह बिनय मोरि सुनि लेहू। मोहि अनुहरत सिखावनु देहू।।
ऊतरु देउँ छमब अपराधू। दुखित दोष गुन गनहिं न साधू।।

दो0-पितु सुरपुर सिय रामु बन करन कहहु मोहि राजु।
एहि तें जानहु मोर हित कै आपन बड़ काजु।।177।।

हित हमार सियपति सेवकाई। सो हरि लीन्ह मातु कुटिलाई।।
मैं अनुमानि दीख मन माहीं। आन उपायँ मोर हित नाहीं।।
सोक समाजु राजु केहि लेखें। लखन राम सिय बिनु पद देखें।।
बादि बसन बिनु भूषन भारू। बादि बिरति बिनु ब्रह्म बिचारू।।
सरुज सरीर बादि बहु भोगा। बिनु हरिभगति जायँ जप जोगा।।
जायँ जीव बिनु देह सुहाई। बादि मोर सबु बिनु रघुराई।।
जाउँ राम पहिं आयसु देहू। एकहिं आँक मोर हित एहू।।
मोहि नृप करि भल आपन चहहू। सोउ सनेह जड़ता बस कहहू।।

दो0-कैकेई सुअ कुटिलमति राम बिमुख गतलाज।
तुम्ह चाहत सुखु मोहबस मोहि से अधम कें राज।।178।।


कहउँ साँचु सब सुनि पतिआहू। चाहिअ धरमसील नरनाहू।।
मोहि राजु हठि देइहहु जबहीं। रसा रसातल जाइहि तबहीं।।
मोहि समान को पाप निवासू। जेहि लगि सीय राम बनबासू।।
रायँ राम कहुँ काननु दीन्हा। बिछुरत गमनु अमरपुर कीन्हा।।
मैं सठु सब अनरथ कर हेतू। बैठ बात सब सुनउँ सचेतू।।
बिनु रघुबीर बिलोकि अबासू। रहे प्रान सहि जग उपहासू।।
राम पुनीत बिषय रस रूखे। लोलुप भूमि भोग के भूखे।।
कहँ लगि कहौं हृदय कठिनाई। निदरि कुलिसु जेहिं लही बड़ाई।।

दो0-कारन तें कारजु कठिन होइ दोसु नहि मोर।
कुलिस अस्थि तें उपल तें लोह कराल कठोर।।179।।


कैकेई भव तनु अनुरागे। पाँवर प्रान अघाइ अभागे।।
जौं प्रिय बिरहँ प्रान प्रिय लागे। देखब सुनब बहुत अब आगे।।
लखन राम सिय कहुँ बनु दीन्हा। पठइ अमरपुर पति हित कीन्हा।।
लीन्ह बिधवपन अपजसु आपू। दीन्हेउ प्रजहि सोकु संतापू।।
मोहि दीन्ह सुखु सुजसु सुराजू। कीन्ह कैकेईं सब कर काजू।।
एहि तें मोर काह अब नीका। तेहि पर देन कहहु तुम्ह टीका।।
कैकई जठर जनमि जग माहीं। यह मोहि कहँ कछु अनुचित नाहीं।।
मोरि बात सब बिधिहिं बनाई। प्रजा पाँच कत करहु सहाई।।

दो0-ग्रह ग्रहीत पुनि बात बस तेहि पुनि बीछी मार।
तेहि पिआइअ बारुनी कहहु काह उपचार।।180।।

 

 

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217