सन् 1943 में पूर्व कलकत्ता भी बंगाल को बरबाद करने वाले अकाल का असर पड़ा। कहते हैं कि लाखों को लीलने वाले इस अकाल के पीछे तत्कालीन ब्रिटिश शासन की गलत नीतियों का हाथ रहा। यह एक अभूतपूर्व तबाही थी जिसने कई कलाकारों को अपनी चित्र भाषा को नए नजरिये से देखने को मजबूर कर दिया।
युवा कलाकारों के समूह ने पूर्व के बंगाली कलाकारों के कार्य में व्याप्त लय और प्रणय को अस्वीकार करने का मन बना लिया। उनमें 6 ने कलकत्ता ग्रुप बनाया। संस्थापक सदस्यों में शामिल थे प्रदोष दासगुप्ता, उनकी पत्नी कमला, चित्रकार गोपाल घोष, नीरद मजूमदार, परितोष सेन, और सुभो टैगोर। प्राण कृष्ण लाल, गोवर्द्धन आश और बंसी चंद्रगुप्त जैसे कलाकार कालांतर में जुटते चले गए।
Ram Kumar Town, Oil on canvas
कलाकारों के इस समूह ने शहरी समाज के संकट को प्रतिविम्बित करने की दृश्य भाषा की आवश्यकता को रेखांकित कर दिया। आधुनिक भारतीय कला में पहली बार कलाकारों की रचनाओं में डर और अंदेशा व्यक्त होने लगे, शहरी परिस्थिति के प्रतिबिम्ब दिखे। ग्रामीण परिदृश्य विशुद्ध शांत नहीं रहे। साथ ही, चित्रकला की औपचारिक शिक्षा में यूरोप की आधुनिकता साफ झलकने लगी।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217