भारतीय समुद्रतर पर उच्च ब्रिटिश व पुर्तगाली शुरुआती सुनियोजित गतिविधियाँ 17वीं सताब्दी में शुरू हो चुकी जबकि सभी कम्पनियाँ भारत में व्यापारिक विशेषाधिकार प्राप्त करने की कोशिश में थीं। 18वीं सदी के मध्य तक यूरोपिय कम्पनियों के बीच अधिपत्य की लड़ाई ने धीरे-धीरे ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधिपत्य के लिए मार्ग बना दिया। कम्पनी जैसा के इसे जाना जाता था। धीरे-धीरे ब्रिटिश ताज के साथ भारत की साम्राज्यवादी शक्ति बन गई व भारत में आर्थिक, राजनैतिक व प्रादेशिक नियंत्रण उनके हाथ में आने लगा। जिसने भारत के सामाजिक-राजनैतिक भू-दृश्य का अपरिवर्तनिय रुपान्तरण की ओर अग्रसर किया जो अब एक उपनिवेश के रुप में परिवर्तित हो चुका था।
केट्टली, तिल्ली डांसर्स, कैनवास पर ऑयल [Kettle, Tilly Dancers, Oil on canvas ]
लगभग 30 ब्रिटिश तैल रूपचित्र चित्रकार व 28 लघुचित्र कलाकार 1770 से 1825 के बीच संरक्षकों की खोज में भारत की यात्रा पर आए। भारत आए पूर्ववर्ती कलाकारों में जॉन जोफनी, विलियम होज़ेस, टैली कैटल, विलियम व थॉमत डेनिवल, ऐमिली ऐडन व अन्य प्रमुख थे। सन् 1760 से लेकर 19वीं सदी के मध्य तक भ्रमणकारी कलाकार ने भारत में विभिन्न प्रदेशो ने भ्रमण किया व स्थानीय संरक्षकों के लिए चित्र बनाने, इमारतों के प्रिंट, भू-दृश्य व रूपचित्र आदि बनाने का कार्य किया। इन कलाकारों ने कैनवास पर तैल माध्यम का उपयोग करते हुए सैद्धन्तिक यथार्थवाद की पश्चिमी तकनीक में चित्र बनाए जिसने रैखिय परिदृश्य पर विशेष जोर दिया गया। इन नए कलाकारों ने नए उपनिवेश को अपने प्रिंट व चित्रों के माध्यम से अभिलिखित किया जिसमें उन्होंने भारत भूमि के विशाल भू-परिदृश्य, अनेकों ऐतिहासिक इमारतों व विभिन्न जातियों का अन्वेषण किया। ‘पूर्वी’ चश्में में से विचार कर इन कार्यों ने भारत की एक विदेशीय व रहस्यमयी भूमि की छवि बनाई जिसमें, चित्रों में बनारस के घाट, आकर्षण राजशाही दरबारों की नर्तकियाँ, विभिन्न जातियों के रंगीन वस्त्र, स्थानिय शासकों व दरबारियों के रुपचित्र, विभिन्न स्थानीय कालकारों के चित्र, स्थानिय पेड़ पौधे व जीव-जन्तु शामिल हैं।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217