गगनेन्द्रनाथ टैगोर अबनीन्दनाथ टैगोर के बड़े भाई और रवीन्द्रनाथ टैगोर के भतीजे थे। हालांकि वह बंगाल स्कूल के सौन्दर्य शास्त्रीय मूल्यों से बहुत निकट से संबद्ध थे लेकिन उन्होंने इसके शैलीगत प्रभाव से बाहर रहकर भी बहुत कार्य किया। दुनिया भर में उनके कला अभ्यासों के ऐक्सेपोजर से पेंटिंग के असल अंदाज का सृजन हुआ। एक तरफ तो वे जापानी वाश तकनीक से प्रेरित थे और दूसरी ओर यूरोपीय कला अभ्यासों के आयाम चित्रवाद, भविष्यवादी और अभिव्यक्तिवाद से प्रेरित थे। अपने आउटलुक (दृष्टिकोण) के सर्वोत्तम भावों के ग्रहण करने के बावजूद उनकी दृष्टि और तकनीक बहुत व्यक्तिगत थी। गगनेन्द्रनाथ की गजब की हास्य भावना और उपहास को कुछ महत्वपूर्ण व्यंग्य चित्रों (कार्टूनों) में अभिव्यक्ति मिली जिनका प्राथमिक उद्देश्य उपनिवेशीय शासन के प्रभाव में सामाजिक और नैतिक मूल्यों के क्षय पर टिप्पणी करना था। उनके उपहास ने हिप्पोक्रेसीज़ और समाज के भीतर विरोध की तरफ भी इशारा किया। सन् 1867 में जोरासांको (टैगोर आवास) थियेटर की स्थापना का श्रेय भी उनको ही जाती है। वे डिजाईनिंग मंच स्थापना एवं विभिन्न नाटकों के लिए वेशभूषा को डिजाइन करने में सक्रिय रूप से संलग्न रहे। उनके प्रमुख आर्ट वर्क्स में इस थियेटर का उल्लेखनीय प्रभाव झलकता है।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217