मधुबनी चित्रकारी, जिसे मिथिला की कला (क्योंकि यह बिहार के मिथिला प्रदेश में पनपी थी) भी कहा जाता है, की विशेषता चटकीले और विषम रंगों से भरे गए रेखा-चित्र अथवा आकृतियां हैं। इस तरह की चित्रकारी पारम्परिक रूप से इस प्रदेश की महिलाएं ही करती आ रही हैं लेकिन आज इसकी बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए पुरूष भी इस कला से जुड़ गए हैं। ये चित्र अपने आदिवासी रूप और चटकीले और मटियाले रंगों के प्रयोग के कारण लोकप्रिय हैं। इस चित्रकारी में शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए खनिज रंजकों का प्रयोग किया जाता है। यह कार्य ताजी पुताई की गई अथवा कच्ची मिट्टी पर किया जाता है। वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए चित्रकारी का यह कार्य अब कागज़, कपड़े, कैन्वास आदि पर किया जा रहा है। काला रंग काजल और गोबर के मिश्रण से तैयार किया जाता हैं, पीला रंग हल्दी अथवा पराग अथवा नींबू और बरगद की पत्तियों के दूध से; लाल रंग कुसुम के फूल के रस अथवा लाल चंदन की लकड़ी से; हर रंग कठबेल (वुडसैल) वृक्ष की पत्तियों से, सफेद रंग चावल के चूर्ण से; संतरी रंग पलाश के फूलों से तैयार किया जाता है। रंगों का प्रयोग सपाट रूप से किया जाता है जिन्हें न तो रंगत (शेड) दो जाती है और न ही कोई स्थान खाली छोड़ा जाता है।
प्रकृति और पौराणिक गाथाओं के वही चित्र उभारे जाते है जो इनकी शैली से मेल खाते हों। इन चित्रों में जिन प्रसंगों और डिजाइनों का भरपूर चित्रण किया गया है वे हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित हैं जैसे कि कृष्ण, राम, शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सूर्य और चन्द्रमा, तुलसी के पौधे, राजदरबारों के दृश्य, सामाजिक समारोह आदि। इसमें खाली स्थानों को भरने के लिए फूल-पत्तियों, पशुओं और पक्षियों के चित्रों, ज्यामितीय डिजाइनों का प्रयोग किया जाता है। यह हस्तकौशल एक पीढ़ी को सौंपती आई है, इसलिए इनके पारम्परिक डिजाइनों और नमूना का पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाता है।
कृषि के अलावा आमदनी का एक साधन बनाए रखने की दृष्टि से अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड और भारत सरकार महिलाओं को हाथ से बने कागज़ पर अपनी पारम्परिक चित्रकारी करके उसे बाज़ार में बेचने के लिए प्रोत्साहित करते रहे है। मधुबनी चित्रकारी अनेक परिवारों की आमदनी का एक मुख्य साधन बन गया है। पूरे विश्व बाजार में इस कला की मांग मिथिला की महिलाओं की कला कुशलता के लिए एक प्रशस्ति है, जिन्होंने भित्तिचित्र की अपनी तकनीकियों का कागज़ पर चित्रकारी के लिए सफल प्रयोग किया है।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217