N N Rimzon Man in a chalk circle, Painted fibreglass
भारत में शास्त्रीय मूर्तिकलाओं की सशक्त परंपरा रही है। निर्माण सामग्रियों की जन्मजात समझ और कुछ सूक्तियों ने 20वीं सदी के भारतीय मूर्तिकारों को नई ऊंचाई छूने की प्रेरणा दी। इसी प्रकार शास्त्रीय मूर्तिकला की शैलियों में पावन भावना के साथ मानवता के महिमामंडन और और आम जन-जीवन में निवेश आधुनिक मूर्तिकारों को प्रेरित करता रहा है। यूरोप के सौंदर्यवादियों द्वारा शुद्धता की तलाश ने एक नया और रोचक आयाम जोड़ दिया। असामान्य सामग्रियों के साथ प्रयोग, कभी-कभी पारंपरिक सामग्रियों के संयोग से, रहस्यात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की क्षमता है। शास्त्रीय परंपरा के साथ-साथ लोक एवं जनजातीय स्रोतों का कलात्मक कल्पना पर गहरा प्रभाव देखा गया है। एनजीएमए के संग्रह में राम किंकर वैज, देवीप्रसाद राय चौधरी, शंखो चौधरी, प्रदोष दासगुप्ता, पीलू पोचकनवाला, आदि देवीरवाला, चिंतामणि कर, अमरनाथ सहगल, धनराज भगत, मीरा मुखर्जी, पीराजी सागरा, राघव कनेरिया, नागजी पटेल, हिम्मत साह, के.जी. सुब्रम्णयन, बलबीर सिंह कट्ट, लतिका कट्ट, जेरम पटेल, जगदीश स्वामीनाथन, सतीश गुजराल, मृणालिनी मुखर्जी, मदन लाल, सबरी राय चौधरी, के एस राधाकृष्णन, एस नंदगोपाल, पीवी जानकीराम, रवीन्द्र रेड्डी, एनएन रिमजोह, पुष्पा एन, वालसन कोलेरी, प्रीतपाल सिंह लडी, कार्ल अंताओ और सुदर्शन शेट्टी जैसे महान कलाकारो ने भारत में आधुनिक मूर्तिकला के इतिहास का समग्र बखान किया है। एनजीएमए का मूर्तिकला संग्रह निस्संदेह देश में सबसे संपन्न संग्रहों में एक है। गैलरी अपने संग्रह को और संपन्न बनाने में संलग्न है और इस उद्देश्य से यह उन सभी समकालीन कृतियों को जुटाने में लगा है जो संग्रह में प्रस्तुति के हकदार हैं।
Mrinalini Mukherjee Basanti, Hemp
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217