Veena Bhargava Chowringhee, Oil on canvas
1980 के दशक के मध्य में समकालीन भारतीय कला को एक नई दिशा मिली। पूर्व के दशकों में कला दृश्य में जिन बातों की प्रधानता थी वे धीरे-धीरे लुप्त हो गई। नई पीढ़ी के उभरते कलाकारों की सोच अलग थी। उन्होंने नई-नई अवधारणाओं को तलाशा और इस संकल्पना का प्रभुत्त बना ताकि कलाकार की सोच कृति के अनुरुप हो जिससे उसे परयोजना पूरी करने में सहायकों की सेवाएं लेने की छूट हो। आधुनिकता के बाद उभरी सोच ने अपनी छाप छोड़ी। इन विचारों ने नए माध्यमों सामग्री तथा तरीकों के साथ प्रयोग किए उन्होंने कार्य के स्तर की फिर से कल्पना की जिसमें कार्य स्थल विशिष्ट तीव आयामों संस्थापनाओं का प्रयास किया गया और वे वैश्विक तथा स्थानीय दोनों उत्तेजनओं का व्यवहार करने के लिए तैयार थे। चित्रों में लिंग, पर्यावरण तथा शहरी संकट से संबंधित विषयों को चित्रित किया जाने लगा। चित्र निर्माण में लोकप्रिय संस्कृति के रोमांच ने प्रमुख प्रेरक का काम किया। कुछेक युवा कलाकारों ने, जव वे पुनःप्रस्तुति रुपों पर काम कर रहे थे तब भी वर्णनात्मक अवयवों से परहेज किया। और यहां तक की मनमौजी पन को भाव अभिव्यक्त किया। कुल मिलाकर समकालीन कला ने विशिष्ट निजी तिथि परिवेश के चमकदार आवरणों को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया और अधिकार मूलक सक्रियाता तथा जोशपूर्ण चेतना को प्रदर्शित किया। एनजीएमए के संग्रह में रखी सुधीर पटवर्धन, वीवान सुंदरम, वीना भार्गव, अर्पिता सिंह, नलिनी मलानी, परमजीत सिंह, मनु पारिख, मंजीत बावा, रामेश्वर ब्रूटा, जतिन दास, अंजलि इला मेनन, अर्पणा कौर, अमिताव दास, चित्रवणु मजूमदार, जया गांगुली, जयश्री चक्रवर्ती, रेखा रोडावर्तिया, राजीव लोचन, अतुल डोडिया, जीतिश कल्लात, सुबोध गुप्ता, अंजु डोडिया, हेमा उपाध्याय, चिंतन उपाध्याय, रियास कोमु, प्रबीर गुप्ता, आनंद जीत रे, और एनएस हर्ष को कृतियों में समकालीन कला प्रयाओं के विविध भावों बहुत सुंदर व ढ़ंग से प्रस्तुत किया गाया है।
Rekha Rodwittiya The Visitation
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217