Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

मध्यकालीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत

मध्यकालीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत

बिहार का मध्यकालीन युग १२ वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है । ऐसा माना जाता है कि कर्नाटक राजवंश के साथ ही प्राचीन इतिहास का क्रम टूट गया था । इसी काल में तुर्कों का आक्रमण भी प्रारंभ हो गया था तथा बिहार एक संगठित राजनीतिक इकाई के रूप में न था बल्कि उत्तर क्षेत्र और दक्षिण क्षेत्रीय प्रभाव में बँटा था ।

अतः मध्यकालीन बिहार का ऐतिहासिक स्त्रोत प्राप्त करने के लिए विभिन्नय ऐतिहासिक ग्रन्थों का दृष्टिपात करना पड़ता है जो इस काल में रचित हुए थे ।

मध्यकालीन बिहार के स्त्रोतों में अभिलेख, नुहानी राज्य के स्रोत, विभिन्नि राजाओं एवं जमींदारों के राजनीतिक जीवन एवं अन्य सत्ताओं से उनके संघर्ष, यात्रियों द्वारा दिये गये विवरण इत्यादि महत्वपूर्ण हैं ।

ऐतिहासिक ग्रन्थों में मिनहाज उस शिराज की “तबाकत-ए-नासिरी" रचना है जिसमें बिहार में प्रारंभिक तुर्क आक्रमण की गतिविधियों के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है । बरनी का तारीख-ए-फिरोजशाही भी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्त्रोत है ।

मुल्ला ताकिया द्वारा रचित यात्रा वृतान्त से भी बिहार में तुर्की आक्रमण बिहार और दिल्ली के सुल्तानों (अकबर कालीन, तुर्की शासन, दिल्ली सम्पर्क) के बीच सम्बन्धों इत्यादि की जानकारियाँ मिलती हैं । प्रमुख ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘बसातीनुल उन्स’ जो इखत्सान देहलवी द्वारा रचित है । इसमें सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के तिरहुत आक्रमण का वृतान्त दिया गया है ।

रिजकुल्लाह की वकियाते मुश्ताकी, शेख कबीर की अफसानाएँ से भी सोलहवीं शताब्दी बिहार की जानकारी प्राप्त होती है ।

मध्यकालीन मुगलकालीन बिहार के सन्दर्भ में जानकारी अबुल फजल द्वारा रचित अकबरनामा से प्राप्त होती है । आलमगीरनामा से मुहम्मद कासिम के सन्दर्भ में बिहार की जानकारी होती है ।

उत्तर मुगलकालीन ऐतिहासिक स्त्रोत गुलाम हुसैन तबाताई की सीयर उल मुताखेरीन, करीम आयी मुजफ्फरनामा, राजा कल्याण सिंह का खुलासातुत तवासिरत महत्वपूर्ण है जिसमें बंगाल और बिहार के जमींदारों की गतिविधियों की चर्चा है । बाबर द्वारा रचित तुजुके-ए-बाबरी एवं जहाँगीर द्वारा रचित तुजुके में भी बिहार के मुगल शासनकालीन गतिविधियों की जानकारी मिलती है । इन दोनों ग्रन्थों से अपने समय में मुगलों की बिहार के सैनिक अभियान की जानकारी प्राप्त होती है ।

मिर्जा नाथन का रचित ऐतिहासिक ग्रन्थ बहारिस्ताने गैबी, ख्वाजा कामागार दूसैनी का मासिर-ए-जहाँगीरी भी १७ वीं शताब्दी के बिहार की जानकारी देती है ।

बिहार के मध्यकालीन ऐतिहासिक स्त्रोतों में भू-राजस्व से सम्बन्धित दस्तावेज भी महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं । भू-राजस्व विभाग के संगठन, अधिकारियों के कार्य एवं अधिकार, आय एवं व्यय के आँकड़े एवं विभिन्न  स्तरों पर अधिकारियों के द्वारा जमा किये गये दस्तावेज बहुत महत्वपूर्ण हैं ।

ऐसे दस्तावेज रूपी पुस्तक में आइने अकबरी, दस्तुरूल आयाम-ए-सलातीन-ए-हिन्द एवं कैफियत-ए-रजवा जमींदारी, राजा-ए-सूबा बिहार भू-कर व्यवस्था के सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं ।

सूफी सन्तों के पत्रों से भी तत्कालीन बिहार की धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन की झाँकी मिलती है ।

अहमद सर्फूद्दीन माहिया मनेरी, अब्दुल कूटूस गंगोई इत्यादि के पत्रों से धार्मिक स्थिति के सन्दर्भ में जानकारी मिलती है ।

मध्यकालीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोतों में यूरोपीय यात्रियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।

यूरोपीय यात्रियों द्वारा वर्णित यात्रा वृतान्त में बिहार के सन्दर्भ में जानकारी मिलती है ।

राल्फ फिच, एडवर्ड टेरी, मैनरीक, जॉन मार्शल, पीटर मुंडी, मनुची, ट्रैवरनियर, मनुक्कीट इत्यादि के यात्रा वृतान्त प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं ।

यूरोपीय यात्रा वृतान्त के अलावा विभिन्ना विदेशी व्यापारिक कम्पनियों (डेनिस, फ्रेंच, इंगलिश) आदि फैक्ट्री रिकार्ड्सु आदि बहुत महत्वपूर्ण हैं जो बिहार की तत्कालीन आर्थिक गतिविधियों की जानकारी देता है ।

बिहार के मध्यकालीन ऐतिहासिक स्त्रोत पटना परिषद, कलकत्ता परिषद एवं फोर्ट विलियम के बीच पत्राचार से प्राप्त होते हैं ।

बिहार के जमींदारों एवं दिल्ली सम्बन्ध से तत्कालीन गतिविधियों की जानकारी प्राप्त होती है ।

डुमरॉव, दरभंगा, हथूआ एवं बेतिया के जमींदार घरानों के रिकार्डों से बाहर की गतिविधियों की जानकारी मिलती है ।

मध्यकालीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत में पुरालेखों का भी महत्व है । ये पुरालेख अरबी या फारसी में विशेषकर मस्जिद, कब्र या इमामबाड़ा आदि की दीवारों पर उत्कीर्ण हैं ।

बिहार शरीफ एवं पटना में भी पुरालेख की जानकारी मिलती है । विभिन्ना शासकों द्वारा जारी अभिलेख, खड़गपुर के राजा के अभिलेख, शेरशाह का ममूआ अभिलेख, मुहम्मद-बिन-तुगलक का बेदीवन अभिलेख महत्वपूर्ण हैं ।

मध्यकालीन बिहार के अध्ययन के लिये गैर-फारसी साहित्य एवं अन्य स्त्रोतों में मिथिला के क्षेत्र में लिखे साहित्य अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं ।

संस्कृत के लेखकों में वर्तमान में शंकर मिश्र, चन्द्रशेखर, विद्यापति के प्रमुख ऐतिहासिक स्त्रोत हैं ।

गैर-फारसी अभिलेख बिहार में सर्वाधिक उपलब्ध हैं । बल्लाल सेन का सनोखर अभिलेख पूर्वी बिहार में लेखों के प्रसार का साक्षी है । खरवार के अभिलेख से पता चलता है उसका पलामू क्षेत्र तक प्रभाव था ।

वुइ सेन का बोधगया अभिलेख, बिहार शरीफ का पत्थर अभिलेख, फिरोज तुगलक का राजगृह अभिलेख, जैन अभिलेख इत्यादि में प्रचुर पुरातात्विक सामग्री उपलब्ध होती हैं ।

इस प्रकार मध्यकालीन बिहार के ऐतिहासिक स्रोत बिहार की जानकारी के अत्यन्त महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं ।

 

 

बिहार का इतिहास मुख्य पृष्ट पर जायें

top

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217