Jain Dharma Jain Tirthankar
जैन धर्म एवं जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर
जैन धर्म (Jain Religion)
जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म।
व्यक्ति जाति या धर्म से नहीं अपितु, आचरण एवं व्यवहार से जैन कहलाता है। जैन स्वयं को अनर्थ हिंसा से बचाता है। जैन सदा सत्य का समर्थन करता है। जैन न्याय के मूल्य को समझता है। जैन संस्कृति और संस्कारों को जीता है। जैन भाग्य को पुरुषार्थ में बदल देता है। जैन अनाग्रही और अल्प परिग्रही होता है। जैन पर्यावरण सुरक्षा में जागरुक रहता है। जैन त्याग-प्रत्याख्यान में विश्वास रखता है। जैन खुद को ही सुख-दःख का कर्ता मानता है।
जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकर
तीर्थंकार
जन्म नगरी
माता का नाम
पिता का नाम
वैराग्य वृक्ष
चिह्न
ऋषभदेवजी
अयोध्या
मरूदेवी
नाभिराजा
वट वृक्ष
बैल
अजितनाथजी
अयोध्या
विजया
जितशत्रु
सर्पपर्ण वृक्ष
हाथी
सम्भवनाथजी
श्रावस्ती
सेना
जितारी
शाल वृक्ष
घोड़ा
अभिनन्दनजी
अयोध्या
सिद्धार्था
संवर
देवदार वृक्ष
बन्दर
सुमतिनाथजी
अयोध्या
सुमंगला
मेधप्रय
प्रियंगु वृक्ष
चकवा
पद्मप्रभुजी
कौशाम्बीपुरी
सुसीमा
धरण
प्रियंगु वृक्ष
कमल
सुपार्श्वनाथजी
काशीनगरी
पृथ्वी
सुप्रतिष्ठ
शिरीष वृक्ष
साथिया
चन्द्रप्रभुजी
चंद्रपुरी
लक्ष्मण
महासेन
नाग वृक्ष
चन्द्रमा
पुष्पदन्तजी
काकन्दी
रामा
सुग्रीव
साल वृक्ष
मगर
शीतलनाथजी
भद्रिकापुरी
सुनन्दा
दृढ़रथ
प्लक्ष वृक्ष
कल्पवृक्ष
श्रेयान्सनाथजी
सिंहपुरी
विष्णु
विष्णुराज
तेंदुका वृक्ष
गेंडा
वासुपुज्यजी
चम्पापुरी
जपा
वासुपुज्य
पाटला वृक्ष
भैंसा
विमलनाथजी
काम्पिल्य
शमी
कृतवर्मा
जम्बू वृक्ष
शूकर
अनन्तनाथजी
विनीता
सूर्वशया
सिंहसेन
पीपल वृक्ष
सेही
धर्मनाथजी
रत्नपुरी
सुव्रता
भानुराजा
दधिपर्ण वृक्ष
वज्रदण्ड
शांतिनाथजी
हस्तिनापुर
ऐराणी
विश्वसेन
नन्द वृक्ष
हिरण
कुन्थुनाथजी
हस्तिनापुर
श्रीदेवी
सूर्य
तिलक वृक्ष
बकरा
अरहनाथजी
हस्तिनापुर
रोहिणी
सुदर्शन
आम्र वृक्ष
मछली
मल्लिनाथजी
मिथिला
रक्षिता
कुम्प
कुम्पअशोक वृक्ष
कलश
मुनिसुव्रतनाथजी
कुशाक्रनगर
पद्मावती
सुमित्र
चम्पक वृक्ष
कछुवा
नमिनाथजी
मिथिला
वप्रा
विजय
वकुल वृक्ष
नीलकमल
नेमिनाथजी
शोरिपुर
शिवा
समुद्रविजय
मेषश्रृंग वृक्ष
शंख
पार्श्र्वनाथजी
वाराणसी
वामादेवी
अश्वसेन
घव वृक्ष
सर्प
महावीरजी
कुंडलपुर
त्रिशाला प्रियकारिणी)
सिद्धार्थ
साल वृक्ष
सिंह