काजी मुल्लां भ्रंमियां, चल्या दुनीं कै साथ |
दिल थैं दीन बिसारिया, करद लई जब हाथ ||6||
भावार्थ - ये काजी और मुल्ले तभी दीन के रास्ते से भटक गये और दुनियादारों के
साथ-साथ चलने लगे,
जब कि इन्होंने जिबह करने के लिए हाथ में छुरी पकड़ ली दीन के नाम पर|
साईं सेती चोरियां, चोरां सेती गुझ |
जाणैंगा रे जीवणा, मार पड़ैगी तुझ ||7||
भावार्थ - वाह ! क्या कहने हैं, साईं से तो तू चोरी और दुराव करता है
और दोस्ती कर ली है चोरों के साथ !
जब उस दरबार में तुझपर मार पड़ेगी, तभी तू असलियत को समझ सकेगा |
खूब खांड है खीचड़ी, माहि पड्याँ टुक लूण |
पेड़ा रोटी खाइ करि, गल कटावे कूण ||8||
भावार्थ - क्या ही बढ़िया स्वाद है मेरी इस खिचड़ी का !जरा-सा, बस, नमक डाल लिया है
पेड़े और चुपड़ी रोटियाँ खा-खाकर कौन अपना गला कटाये ?
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217