भगति भजन हरि नांव है, दूजा दुक्ख अपार |
मनसा बाचा क्रमनां, `कबीर' सुमिरण सार ||1||
भावार्थ - हरि का नाम-स्मरण ही भक्ति है और वही भजन सच्चा है ; भक्ति के नाम पर
सारी साधनाएं केवल दिखावा है, और अपार दुःख की हेतु भी |
पर स्मरण वह होना चाहिए मन से, बचन से और कर्म से,
और यही नाम-स्मरण का सार है !
`कबीर कहता जात हूँ, सुणता है सब कोई |
राम करें भल होइगा, नहिंतर भला न होई ||2||
भावार्थ - मैं हमेशा कहता हूँ, रट लगाये रहता हूँ, सब लोग सुनते भी रहते हैं -
यही कि राम का स्मरण करने से ही भला होगा, नहीं तो कभी भला होनेवाला नहीं |
पर राम का स्मरण ऐसा कि वह रोम-रोम में रम जाय |
तू तू करता तू भया, मुझ में रही न हूँ |
वारी फेरी बलि गई ,जित देखौं तित तूं ||3||
भावार्थ - तू, ही है, तू ही है' यह करते-करते मैं तू ही हो गयी,
`हूँ' मुझमें कहीं भी नहीं रह गयी |
उसपर न्यौछावर होते-होते मैं समर्पित हो गयी हूँ |
जिधर भी नजर जाती है उधर तू-ही-तू दीख रहा है |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217