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कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

भेष का अंग

माला पहिरे मनमुषी, ताथैं कछू न होई |
मन माला कौं फेरता, जग उजियारा सोइ ||1||
भावार्थ -- लोगों ने यह `मनमुखी' माला धारण कर रखी है, नहीं समझते कि इससे कोई लाभ
होने का नहीं | माला मन ही की क्यों नहीं फेरते ये लोग ?
`इधर' से हटाकर मन को `उधर' मोड़ दें, जिससे सारा जगत जगमगा उठे |
[ आत्मा का प्रकाश फैल जाय और भर जाय सर्वत्र |]

`कबीर' माला मन की, और संसारी भेष |
माला पहर्‌यां हरि मिलै, तौ अरहट कै गलि देखि ||2||
भावार्थ - कबीर कहते हैं - सच्ची माला तो अचंचल मन की ही है,
बाकी तो संसारी भेष है मालाधारियों का |
यदि माला पहनने से ही हरि से मिलन होता हो, तो रहट को देखो,
हरि से क्या उसकी भेंट हो गई, इतनी बड़ी माला गले में डाल लेने से ?

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217