हैवर गैवर सघन धन, छत्रपति की नारि |
तास पटंतर ना तूलै, हरिजन की पनिहारि ||15||
भावार्थ - हरि-भक्त की पनिहारिन की बराबरी छत्रधारी की रानी भी नहीं कर सकती |
ऐसे राजा की रानी,जो अच्छे-से-अच्छे घोड़ों और हाथियों का स्वामी है,
और जिसका खजाना अपार धन-सम्पदा से भरा पड़ा है |
क्यूं नृप-नारी नींदिये, क्यूं पनिहारी कौं मान |
वा मांग संवारे पीव कौं, या नित उठि सुमिरै राम ||26||
भावार्थ - रानी को यह नीचा स्थान क्यों दिया गया, और पनिहारिन को इतना ऊँचा स्थान ?
इसलिए कि रानी तो अपने राजा को रिझाने के लिए मांग सँवारती है, सिंगार करती है
और वह पनिहारिन नित्य उठकर अपने राम का सुमिरन |
`कबीर कुल तौ सो भला, जिहि कुल उपजै दास |
जिहिं कुल दास न ऊपजै, सो कुल आक-पलास ||27||
भावार्थ - कबीर कहते हैं-- कुल तो वही श्रेष्ठ है, जिसमें हरि-भक्त जन्म लेता है |
जिस कुल में हरि-भक्त नहीं जनमता, वह कुल आक और पलास के समान व्यर्थ है |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217