Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

विविध

नीर पियावत क्या फिरै, सायर घर-घर बारि |
जो त्रिषावन्त होइगा, सो पीवेगा झखमारि ||15||
भावार्थ - क्या पानी पिलाता फिरता है घर-घर जाकर ?
अन्तर्मुख होकर देखा तो घर-घर में, घट-घट में, सागर भरा लहरा रहा है |
सचमुच जो प्यासा होगा, वह झख मारकर अपनी प्यास बुझा लेगा |
[आत्मानन्द का सागर सभी के अन्दर भरा पड़ा है |`तृषावंत' से तात्पर्य है
सच्चे तत्त्व-जिज्ञासु से |]

हीरा तहाँ न खोलिये, जहँ खोटी है हाटि |
कसकरि बाँधो गाठरी, उठि करि चालौ बाटि ||16||
भावार्थ - जहाँ खोटा बाजार लगा हो, ईमान-धरम की जहाँ पूछ न हो ,
वहाँ अपना हीरा खोलकर मत दिखाओ |पोटली में कसकर उसे बन्द करलो और
अपना रास्ता पकड़ो |
[ हीरा से मतलब है आत्मज्ञान से|`खोटीहाट' से मतलब है अनधिकारी लोगों से,
जिनके अन्दर जिज्ञासा न हो |]

हीरा परा बजार में, रहा छार लपिटाइ |
ब तक मूरख चलि गये, पारखि लिया उठाइ ||17||
भावार्थ - हीरा योंही बाजार में पड़ा हुआ था - देखा और अनदेखा भी, धूल मिट्टी से
लिपटा हुआ | जितने भी अपारखी वहाँ से गुजरे, वे यों ही चले गये |
लेकिन जब सच्चा पारखी वहाँ पहुँचा तो उसने बड़े प्रेम से उसे उठाकर गंठिया लिया

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217