(जन्म 1929 ई.)
भारत भूषण का जन्म मेरठ, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने हिन्दी में स्नातकोत्तर शिक्षा अर्जित की और प्राध्यापन को जीविकावृत्ति के रूप में अपनाया। ये भाव प्रवण और संवेदनशील गीतकार हैं। इनका गीत संग्रह 'सागर के सीप है। इसके अतिरिक्त तमाम कविताएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। 'राम की जल समाधि इनकी बहुचर्चित कविता है। भारत भूषण काव्यमंच पर पिछले तीन दशकों से लोकप्रिय रहे हैं।
गीत
मेरे मन-मिरगा नहीं मचल
हर दिशि केवल मृगजल मृगजल!
प्रतिमाओं का इतिहास यही
उनको कोई भी प्यास नहीं
तू जीवन भर मंदिर-मंदिर
बिखराता फिर अपना दृगजल!
खौलते हुए उन्मादों को
अनुप्रास बने अपराधों को
निश्चित है बांध न पाएगा
झीने-से रेशम का आंचल!
भींगी पलकें भींगा तकिया
भावुकता ने उपहार दिया
सिर माथे चढा इसे भी तू
ये तेरी पूजा का प्रतिफल!
गीत
सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूं
प्रिय मिलने का वचन भरो तो!
पलकों पलकों शूल बुहारूं
अंसुअन सींचू सौरभ गलियां
भंवरों पर पहरा बिठला दूं
कहीं न जूठी कर दें कलियां
फूट पडे पतझर से लाली
तुम अरुणारे चरन धरो तो!
रात न मेरी दूध नहाई
प्रात न मेरा फूलों वाला
तार-तार हो गया निमोही
काया का रंगीन दुशाला
जीवन सिंदूरी हो जाए
तुम चितवन की किरन करो तो!
सूरज को अधरों पर धर लूं
काजल कर आंजूं अंधियारी
युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर
बाट निहारूं प्राण तुम्हारी
सांसों की जंजीरें तोडं
तुम प्राणों की अगन हरो तो
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217