(1914-1985 ई.)
भवानीप्रसाद मिश्र का जन्म होशंगाबाद, म.प्र. में हुआ। स्नातक के बाद 'कल्पना पत्रिका के सम्पादक बने। तदनंतर वर्षों तक आकाशवाणी की सेवा की। ये संपूर्ण गांधी वांग्मय के सम्पादक मंडल में भी रहे। मिश्रजी सहज संवेदना के सरस काव्य-शिल्पी हैं। इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं- 'अंधेरी कविताएं, 'बुनी हुई रस्सी, 'खुशबू के शिलालेख, 'चकित है दु:ख, 'व्यक्तिगत, 'शरीर, कविता, फसलें और फूल तथा 'नीली रेखा तक आदि। इनकी 'सतपुडा के जंगल और 'गीतफरोश कविताएं अत्यधिक लोकप्रिय हुईं। ये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।
ऐसा भी होगा
इच्छाए उमडती हैं
तो थक जाता हूँ,
कभी एकाध इच्छा
थोडा चलकर
तुम्हारे सिरहाने रख जाता हूँ।
जब तुम्हारी आंख
खुलती है,
तो तुम उसे देखकर
सोचती हो,
यह कोई चीज-
तुम्हारी इच्छा से
मिलती-जुलती है।
कभी ऐसा भी होगा?
जबमेरी क्लांति,
कोई भी इच्छातुम्हारे सिरहाने तक रखने
नहीं जाएगी,
तब,
वहां के खालीपन को देखकर,
शायद तुम्हें याद आएगी
अपनी इच्छा से मिलती-जुलती मेरी किसी इच्छा की।
ऐसा हो जाता है
ऐसा हो जाता है कभी-कभी
जैसा आज हो गया
मेरा सदा मुट्ठी में
रहने वाला मन
चीरकर मेरी अंगुलियां
मेरे हाथ से निकल कर खो गया
गिरा नहीं है वह धरती पर
सो तो समझा हूँ
तब उड ही गया होगा वह
आसमान में
ढूंढूं कहां उसे इस बिलकुल
भासमान में
भटक रहा हूँ इसीलिए उसे खोजता हुआ
अबाबील में कोयल में सारिका में
चंदा में सूरज में मंगल में तारिका में!
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217