(1674-1780 ई.)
दरिया साहब बिहार के आरा जिले के रहने वाले थे। इनके पिता ने धर्म बदल लिया था और पृथुदास से पीरनशाह बन गए थे। दरिया साहब बचपन से ही विरक्त थे और 15 वर्ष की आयु में पत्नी को छोडकर साधु हो गए थे। शीघ्र ही इन्होंने आत्मानुभूति प्राप्त की थी। इनके नाम से 'दरिया पंथ चला, जिसकी इन्होंने पाँच गद्दियाँ स्थापित कीं। इनकी दो पुस्तकें प्राप्त हैं- 'दरिया सागर और 'ज्ञान दीपक। इन्होंने कबीर की भाँति सामाजिक ढकोसलों पर प्रहार किया तथा नम्रता, सरलता और दीनता से रहकर, नश्वर संसार में अविनश्वर को प्राप्त करने की सीख दी। इनके पद एवं साखी भी सरल भाषा में ज्ञान एवं भगवत् प्रेम के गूढ तत्वों को व्यक्त कर देते हैं।
पद
जाके उर उपजी नहिं भाई।
सो क्या जाने पीर पराई॥
ब्यावर जानै पीर की सार।
बाँझ नार क्या लखै बिकार॥
पतिव्रता पति को व्रत जानै।
बिभचारिनि मिल कहा बखानै॥
हीरा पारख जौहरी पावै।
मूरख निरख कै कहा बतावै॥
लागा घाव कराहै सोई।
कोतगहार के दरद न कोई॥
रामनाम मेरा प्रान अधार।
सोई रामरस पीवनहार॥
जन 'दरिया जनैगा सोई।
(जाके) प्रेम की माल कलेजे पोई॥
नाम बिन भाव करम नहिं छूटै।
साध संग औ राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै॥
मल सेती जो मलको धोवै, सो मल कैसे छूटै॥
प्रेम का साबुन नाम का पानी, दोय मिल ताँता टूटै॥
भेद अभेद भरम का भाँडा, चौडे पड-पड फूटै॥
गुरु मुख सबद गहै उर अंतर, सकल भरम के छूटै॥
राम का ध्यान तूँ धर रे प्रानी, अमृत कर मेंह बूटै॥
जन 'दरियाव अरप दे आपा, जरा मरन तब टूटै॥
साधो ऐसा ज्ञान प्रकासी।
आतम राम जहाँ लगि कहिए, सबै पुरुष की दासी॥
यह सब जोति पुरुष है निर्मल, नहिं तँह काल निवासी।
हंस बंस जो है निरदागा, जाय मिले अविनासी॥
सदा अमर है मरै न कबहीं, नहिं वह सक्ति उपासी।
आवै जाय खपै सो दूजा, सो तन कालै नासी॥
तजै स्वर्ग नर्क कै आसा, या तन बेबिस्वासी।
है छपलोक सभनि तें न्यारा, नहिं तहँ भूख पियासी॥
केता कहै कवि कहै न जानै, वाके रूप न रासी।
वह गुन रहित तो यह गुन कैसे, ढूँढत फिरै उदासी॥
साँचे कहा झूठ जिनि जानहु, साँच कहै दुरि जासी।
कहै 'दरिया दिल दगा दूरि कर, काटि दिहैं जम फाँसी॥
साखी
दरिया लच्छन साध का, क्या गिरही क्या भेख।
नि:कपटी निरसंक रहि, बाहर भीतर एक॥
कानों सुनी सो झूठ सब, ऑंखों देखी साँच।
दरिया देखे जानिए, यह कंचन यह काँच॥
पारस परसा जानिए, जो पलटै ऍंग-अंग।
अंग-अंग पलटै नहीं, तौ है झूठा संग॥
बड के बड लागै नहीं, बड के लागै बीज।
दरिया नान्हा होयकर, रामनाम गह चीज॥
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217