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हिन्दी के कवि

कुमार विकल

(जन्म 1935 ई.)

कुमार विकल का जन्म वजीराबाद (अब पाकिस्तान) में हुआ था। शिक्षा रावलपिंडी, लुधियाना एवं लाहौर में हुई। सम्प्रति ये पंजाब विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग से सम्बध्द हैं। ये राजनीतिक विषयों में रुचि रखते हैं। रंगमंच से भी सम्बध्द हैं। इनके कविता- संग्रह हैं : 'एक छोटी लडाई तथा 'रंग खतरे में है आदि। इनकी कविताएं बंगला, मराठी, गुजराती और पंजाबी में अनूदित हैं।

बायस्कोप
एक रोज बचपन में मैंने जिद की थी
बायस्कोप देखूंगा।
मां ने मुझको सहज भाव से फुसलाया
'बिस्तर में, तकिए के नीचे मुंह रख
आंखें बंद करके
चंदा मामा के घर में
चरखा कात रही बुढिया के बारे में सोचो,
तब जो देखोगे उसको बायस्कोप कहते हैं।

मैं अबोध था
समझा यही बायस्कोप है।
और रात सोनेसे पहले
बिस्तर में तकिए के नीचे मुंह रख
आंखें बंद करके मैंने
चंदा मामा के घर में
चरखा कात रही बुढिया के बारे में सोचा।
तब मैंने देखे-
बादल भैया के घोडे
आइसक्रीम खाते हुए परियों के बच्चे
चॉकलेट और टॉफी के डिब्बों से भरा पडा बौनों का देश।
मेरा बास्कोप कितना अच्छा था
रोज रात सोने से पहले देखा करता।

तब बचपन था,
किंतु आज जब बचपन अंधेरे कमरे में खोई सुई के समान है
अक्सर अधसोई रातों को
बिस्तर में अर्थहीन सोचा करता हूँ।
लेकिन अब-
चंदा मामा के घर में
चरखा कात रही बुढिया
और बादल भैया के घोडे नजर नहीं आते।

अब तो घर के ईंधन,
दफ्तर की फाइलों के नीचे
दबे पडे,
कटे हुए पंख नजर आते हैं
जो पीडा देते हैं,
पलकें गीली कर जाते हैं,
अधसोई रातें इसी सोच में कट जाती हैं-
मैंने बचपन में जिद क्यों की थी
मां ने क्यों मुझको झूठा बायस्कोप देखना सिखलाया था?

***
चम्बा की धूप
ठहरों भाई,
धूप अभी आएगी
इतने आतुर क्यों हो
आखिर यह चम्बा की धूप है-
एक पहाडी गाय-
आराम से आएगी।
यहीं कहीं चौगान में घास चरेगी
गद्दी महिलाओं के संग सुस्ताएगी
किलकारी भरते बच्चों के संग खेलेगी
रावी के पानी में तिर जाएगी।
और खेलकूद के बाद
यह सूरज की भूखी बिटिया
आटे के पेडे लेने को
हर घर का चूल्हा चौखट चूमेगी,
और अचानक थककर
दूध बेच कर लौट रहे
गुज्जर परिवारों के संग,
अपनी छोटी-सी पीठ पर
अंधेरे का बोझ उठाए
उधर-
जिधर से उतरी थी
चढ जाएगी-
यह चम्बा की धूप-
पहाडी गाय।

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217