(जन्म 1937 ई.)
माधव मधुकर का जन्म भीटी, गोरखपुर में हुआ। इनका मूल नाम माधव प्रसाद पांडेय है। सम्प्रति रेलवे के लेख विभाग में कार्यरत हैं। इनकी हिन्दी गजलें अपनी तल्खी के कारण विशेष चर्चित हुईं। इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं :'साधना के स्वर, 'रोशनी के लिए, 'सुधियों का सौरभ, 'अंधेरे से लडते हुए तथा 'सूर्य का सवाल। इनकी कविताएं अन्य भाषाओं में भी अनूदित हैं। कुछ संग्रह पुरस्कृत हुए हैं।
नदी-नाव
चाहता था
मैं,
नदीं-सा सहज गति से
बस्तियों, खेतों, सघन वन-प्रांतरों में
अनवरत बहना-
प्रकृति के प्रत्येक प्यासे कंठ को
परितृप्त करना,
किंतु, अनगिन किंतुओं से घिरा
घर, परिवार, खर, कतवार
सबका बोझ लादे
मैं, महज-
एक नाव बनकर रह गया।
***
अब गाए जाते नहीं गीत
उमस भरे कमरे के बीच
अब गाए जाते नहीं गीत।
उम्र की अलगनी पर
टांग दिया है मैंने
फटे हुए वस्त्रों-सा
सारा अतीत,
आनेवाले दिन की
आखिरी प्रतीक्षा में
दिन अब तो
जैसे-तैसे जाता बीत
अनचाहे आगत की
अनजानी बांहों के बीच
अब गाए जाते नहीं
मनचाहे मौसम के गीत।
छोटे-से आंगन में
बडे नेह से मैंने
रोपे-थे-
गुलमुहर-गुलाबों के फूल
लेकिन उग आए हैं
बिनबोए अनगिन ये
नागफनी, बांस औ बबूल
अनपेक्षित प्राप्यों के
जहरीले शूलों के बीच
अब गाए जाते नहीं
महकीले फूलों के गीत
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217