(1895-1988 ई.)
मुकुटधर पाण्डेय का जन्म बिलासपुर जिले के बालपुर ग्राम में हुआ। ये छायावादी युग के प्रवर्तक कवि हैं। इनकी भाषा सरल एवं परिष्कृत है। मुख्य काव्य संग्रह हैं- 'पूजा फूल, 'शैलबाला, 'लच्छमा, 'हृदयदान तथा 'परिश्रम। इन्होंने निबंध एवं आलोचना ग्रंथ भी लिखे। इन्हें हिंदी साहित्य सम्मेलन का सम्मान प्राप्त हुआ।
मेरा प्रकृति-प्रेम
हरित पल्लवित नववृक्षों के दृश्य मनोहर
होते मुझको विश्व बीच हैं जैसे सुखकर,
सुखकर वैसे अन्य दृश्य होते न कभी हैं
उनके आगे तुच्छ परम वे मुझे सभी हैं।
छोटे-छोटे झरने जो बहते सुखदाई
जिनकी अद्भुत शोभा सुखमय होती भाई,
पथरीले पर्वत विशाल वृक्षों से सज्जित
बडे-बडे बागों को जो करते हैं लज्जित।
लता विटप की ओट जहां गाते हैं द्विजगण
शुक, मैना, हारीत जहां करते हैं विचरण,
ऐसे सुंदर दृश्य देख सुख होता जैसा
और वस्तुओं से न कभी होता सुख वैसा।
छोटे-छोटे ताल पद्म से पूरित सुंदर
बडे-बडे मैदान दूब छाई श्यामलतर,
भांति-भांति की लता और वल्ली जो सारी
ये सब मुझको सदा हृदय से लगती न्यारी।
इन्हें देखकर मन मेरा प्रसन्न होता है
सांसारिक दुख ताप तभी छिन में खोता है,
पर्वत के नीचे अथवा सरिता के तट पर
होता मैं सुखी बडा स्वच्छंद विचर कर।
नाले नदी सुमद्र बन बाग घनेरे
जग में नाना दृश्य प्रकृति ने चहुं दिशि घेरे,
तरुओं पर बैठे ये द्विजगण चहक रहे हैं
खिले फूल सानंद हास मुख महक रहे हैं।
वन में त्रिविध बयार सुगंधित फैल रही है
कुसुम ब्याज से अहा चित्रमय हुई मही है,
बौरे अम्ब कदम्ब सरस सौरभ फैलाते
गुनगुन करते भ्रमर वृंद उन पर मंडराते।
इन दृश्यों को देखकर हृदय मेरा भर जाता
बारबार अवलोकन कर भी नहीं अघाता,
देखूं नित नव विविध प्राकृतिक दृश्य गुणाकर
यही विनय मैं करता तुझसे हे करुणाकर!
वर्षा-बहार
बर्षा-बहार सब के, मन को लुभा रही है
नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है।
बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं
पानी बरस रहा है, झरने भी ये बहे हैं।
चलती हवा है ठंडी, हिलती हैं डालियां सब
बागों में गीत सुंदर, गाती हैं मालिनें अब।
तालों में जीव चलचर, अति हैं प्रसन्न होते
फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते।
करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे
मेंढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे।
खिलते गुलाब, कैसा सौरभ उडा रहा है
बागों में खूब सुख से आमोद छा रहा है।
चलते हैं हंस कहीं पर, बांधे कतार सुंदर
गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।
इस भांति है, अनोखी वर्षा-बहार भू पर
सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217