(जन्म 1911 ई.)
नागार्जुन का मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र था। इनका जन्म दरभंगा जिले में तरौनी गांव में हुआ। संस्कृत की उच्च शिक्षा काशी में पाई। नागार्जुन ने सोवियत संघ, श्रीलंका तथा तिब्बत की यात्राएं कीं, किसान आंदोलन में भाग लिया और जेल गए। ये जनवादी कवि थे। इनके मुख्य कविता संग्रह हैं- 'सतरंगे पंखों वाली, 'प्यासी पथराई आंखें, 'खिचडी विप्लव देखा हमने, 'तुमने कहा था, 'हजार-हजार बांहों वालीं, 'आखिर ऐसा क्या कर दिया मैंने आदि। उपन्यास 'बाबा बटेसर नाथ पुरस्कृत हुआ। मैथिली काव्य-संग्रह 'पत्रहीन नग्न गाछ पर को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
कालिदास
कालिदास! सच-सच बतलाना
इन्दुमती के मृत्युशोक से
अज रोया या तुम रोये थे?
कालिदास! सच-सच बतलाना।
शिवजी की तीसरी आंख से,
निकली हुई महाज्वाला में,
घृतमिश्रित सूखी समिधा-सम
कामदेव जब भस्म हो गया,
रति का क्रंदन सुन आंसू से
तुमने ही तो दृग धोये थे-
कालिदास! सच-सच बतलाना
रति रोयी या तुम रोये थे?
वर्षा ॠतु की स्निग्ध भूमिका,
प्रथम दिवस आषाढ मास का
देख गगन में श्याम घन-घटा,
विधुर यक्ष का मन जब उचटा,
खडे-खडे तब हाथ जोडकर
चित्रकूट से सुभग शिखर पर
उस बेचारे ने भेजा था
जिनके ही द्वारा संदेशा,
उन पुष्करावर्त मेघों का
साथी बनकर उडनेवाले-
कालिदास! सच-सच बतलाना
पर पीडा से पूर-पूर हो
थक-थककर औ चूर-चूर हो
अमल-धवल गिरि के शिखरों पर
प्रियवर! तुम कब तक सोये थे?
रोया यक्ष कि तुम रोये थे?
कालिदास! सच-सच बतलाना।
बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद-
अबकी मैंने जी भर देखी,
पकी-सुनहली फसलों की मुसकान!
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर सुन पाया-
धान कूटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान!
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर सूंघे-
मौलसिरी के ढेर-ढेर-से ताजे-टटके फूल!
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर छू पाया-
अपनी गंवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल!
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी भर-
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर भोगे-
गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भू पर;
बहुत दिनों के बाद।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217