(1913-1975 ई.)
नर्मदा प्रसाद खरे का जन्म जबलपुर में हुआ। इनका कर्मक्षेत्र मध्यप्रदेश रहा। ये म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री पद पर रहे। 'प्रेमा के सहायक सम्पादक तथा 'युगारंभ के सम्पादक रहे। इनके प्रमुख कविता संग्रह हैं- 'ज्योति-गंगा तथा 'स्वर-पाथेय। 'रोटियों की वर्षा इनका बहुप्रशंसित कहानी संग्रह है।
अम्बर की बातें क्या जानूं
मैंने धरती के गीत सुने, अम्बर की बातें क्या जानूं?
धरती ने पहले बोले सुने, धरती पर पहला स्वर फूटा,
धरती ने जीवन दान दिया, धरती पर जीवन सुख लूटा,
धरती माता के अंचल में, ममतामय स्नेह दुलार मिला,
धरती ने आंसू झेले हैं, धरती पर पहला प्यार खिला,
धरती ने स्वर्ण बिखेरा है, नभ की सौगातें क्या जानूं?
फूलों ने हंस मोहकता दी, कलियों ने मृदु मुसकानें दीं,
मंजरियों ने मादकता दी, कोकिल ने मधुमय तानें दीं,
बल्लरियों ने गलबांहें दे, प्राणों को नव संगीत दिया,
कांटों ने कठिन परीक्षा ले, जीवन का प्रेरक गीत दिया,
सोने के दिन कब देख सका, चांदी की रातें क्या जानूं?
सूरज धरती की छाती पर, संपूर्ण तेज अजमाता है,
नभ अपने वज्र प्रहारों से, धरती के प्राण कंपाता है,
ज्वालामुखियों-भूकम्पों ने, धरती पर प्रलय मचाया है,
मानव ने मानव के वध से, धरती पर खून बहाया है,
लपटों शोलों से खेला हूँ, शीतल बरसातें क्या जानूं?
ढह गए महल, गड गए मुकुट, धरती अब भी मुसकाती है,
हैं चांद सितारे मौन खडे, यह धरती अब भी गाती है,
धरती पर कितने चरण चले, कितनों ने रोया-गाया है
धरती की नीरव भाषा को, पर कौन भला पढ पाया है,
मैंने तो भू के अंक पढे, नभ लिपि की घातें क्या जानूं?
मैंने धरती के गीत सुने, अम्बर की बातें क्या जानूं?
गीत तुम्हारे गाती हूँ मैं
गीत तुम्हारे गाती हूँ मैं
मौन प्रतीक्षा, सजल नयन ले संध्या-प्रदीप जलाती हूँ मैं।
एक दिवस अनजाने ही तुम
इन प्राणों से खेल गए हो,
युग युग की प्यासी आंखों में
छबि का सिंधु उडेल गए हो।
आंखें जहां ठहर जाती हैं, एक तुम्हें ही पाती हूँ मैं।
एक झलक में चिर परिचित-सी
छाया उर पर छोड गए हो,
छाया पथ में कुसुम खिला तुम
जीवन की गति मोड गए हो।
पथ के शेष चरण-चिह्नों को चूम-चूम खिल जाती हूँ मैं।
माधव की मधु-माया दो पल,
इस डाली पर झूल गई है,
नंदन की फुलवारी भी तो
इस मरुथल पर फूल गई है,
मत पूछो, इस शून्य-सदन में कैसे दिवस बिताती हूँ मैं।
रवि रथ पर संध्या-अंचल में
छिपते से तुम चले गए हो,
विरह मिलन की युग पलकों में
दिपते से तुम चले गए हो!
नीरवता को चीर क्षितिज पर पग-ध्वनियां सुन आती हूँ मैं।
गीत तुम्हारे गाती हूँ मैं।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217