(जन्म 1926 ई.)
रमानाथ अवस्थी का जन्म फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ। इन्होंने आकाशवाणी में प्रोडयूसर के रूप में वर्षों काम किया। 'सुमन- सौरभ, 'आग और पराग, 'राख और शहनाई तथा 'बंद न करना द्वार इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं। ये लोकप्रिय और मधुर गीतकार हैं। इन्हें उत्तरप्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया है।
इन्सान
मैंने तोडा फूल, किसी ने कहा-
फूल की तरह जियो औ मरो
सदा इंसान।
भूलकर वसुधा का शृंगार,
सेज पर सोया जब संसार,
दीप कुछ कहे बिना ही जला-
रातभर तम पी-पीकर पला-
दीप को देख, भर गए नयन
उसी क्षण-
बुझा दिया जब दीप, किसी ने कहा
दीप की तरह जलो, तम हरो
सदा इंसान।
रात से कहने मन की बात,
चंद्रमा जागा सारी रात,
भूमि की सूनी डगर निहार,
डाल आंसू चुपके दो-चार
डूबने लगे नखत बेहाल
उसी क्षण-
छिपा गगन में चांद, किसी ने कहा-
चांद की तरह, जलन तुम हरो
सदा इंसान।
सांस-सी दुर्बल लहरें देख,
पवन ने लिखा जलद को लेख,
पपीहा की प्यासी आवाज,
हिलाने लगी इंद्र का राज,
धरा का कण्ठ सींचने हेतु
उसी क्षण -
बरसे झुक-झुक मेघ, किसी ने कहा-
मेघ की तरह प्यास तुम हरो
सदा इंसान।
अंधरे का सफर
तुम्हारी चांदनी का क्या करूं मैं,
अंधेरे का सफर मेरे लिए है।
किसी गुमनाम के दुख-सा
अजाना है सफर मेरा,
पहाडी शाम-सी तुमने
मुझे सुनसान में घेरा,
तुम्हारी सेज को ही क्यों सजाऊं,
समूचा ही शहर मेरे लिए है।
किसी चौरास्ते की रात-सा
मैं सो नहीं पाता,
किसी के चाहने पर भी
किसी का हो नहीं पाता,
मधुर है प्यार, लेकिन क्या करूं मैं,
जमाने का जहर मेरे लिए है।
थका बादल किसी सौदामिनी
के साथ सोता है,
मगर इंसान थकने पर
बडा लाचार होता है,
गगन की दामिनी का क्या करूं मैं,
धरा की हर डगर मेरे लिए है।
नदी के साथ मैं पहुंचा
किसी सागर किनारे,
गई खुद डूबल मुझको
छोड लहरों के सहारे,
निमंत्रण दे रही लहरें, करूं क्या,
कहीं कोई भंवर मेरे लिए है।
असम्भव
ऐसा कहीं होता नहीं
ऐसा कभी होगा नहीं।
धरती जले बरसे न घन,
सुलगे चिता झुलसे न तन।
औ जिंदगी में हों न गम।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।
हर नींद हो सपनों भरी,
डूबे न यौवन की तरी,
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी।
ऐसा कभी होगा नहीं,
ऐसा कभी होता नहीं।
सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं।
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।
दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे।
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन।
ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217