(1908-1974 ई.)
रामधारीसिंह 'दिनकर’ का जन्म मुंगेर जिले के सिमरिया गांव में हुआ। पटना से बी.ए. (ऑनर्स) करने के उपरांत बिहार सरकार की सेवा की। इसके उपरांत ये मुजफ्फरपुर के बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। इन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और भारत सरकार के हिंदी सलाहकार के पदों पर भी कार्य किया। 'दिनकर छायावादोत्तर काल के प्रथम युगांतरकारी कवि हैं, जिन्होंने कविता को वास्तविकता के धरातल पर उतारा। इनके मुख्य काव्य-संग्रह- 'रेणुका, 'हुंकार, 'सामधेनी, 'रसवंती तथा 'नील कुसुम हैं। 'कुरुक्षेत्र, 'रश्मिरथी तथा 'उर्वशी प्रबंध-काव्य हैं। इन्हें साहित्यकार संसद का पुरस्कार, साहित्य अकादमी तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। ये 'पद्मभूषण से अलंकृत हुए तथा राज्यसभा के सदस्य रहे।
हिमालय के प्रति
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
साकार, दिव्य, गौरव विराट,
पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल।
मेरी जननी के हिम-किरीट,
मेरे भारत के दिव्य भाल।
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त
युग-युग गर्वोन्नत, नित महान्।
निस्सीम व्योम में तान रहा,
युग से किस महिमा का वितान।
कैसी अखंड यह चिर समाधि?
यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?
तू महाशून्य में खोज रहा
किस जटिल समस्या का निदान?
उलझन का कैसा विषम जाल?
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
ओ, मौन तपस्या-लीन यती!
पल-भर को तो कर दृगोन्मेष,
रे ज्वालाओं से दग्ध विकल
है तडप रहा पद पर स्वदेश।
सुख सिंधु, पंचनद, ब्रह्मपुत्र
गंगा यमुना की अमिय धार,
जिस पुण्य भूमि की ओर बही
तेरी विगलित करुणा उदार।
जिसके द्वारों पर खडा क्रान्त
सीमापति! तूने की पुकार
'पद दलित इसे करना पीछे,
पहले ले मेरे सिर उतार।
उस पुण्य भूमि पर आज तपी!
रे आन पडा संकट कराल,
व्याकुल तेरे सुत तडप रहे
डस रहे चतुर्दिक् विविध व्याल।
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
उर्वशी का रूप वर्णन
'एक मूर्ति में सिमट गर्इं किस भांति सिध्दियां सारी?
कब था ज्ञात मुझे इतनी सुंदर होती है नारी?
लाल लाल वे चरण कमल-से, कुंकुम-से, जावक-से,
तन की रक्तिम कांति युध्द, ज्यों, धुली हुई पावक से।
जग भर की माधुरी अरुण अधरों में धरी हुई-सी,
आंखों में वारुणी रंग निद्रा कुछ भरी हुई सी।
तन-प्रकांति मुकुलित अनंत ऊषाओं की लाली-सी,
नूतनता संपूर्ण जगत् की संचित हरियाली-सी।
पग पडते ही फूट पडे विद्रुम प्रवाल धूलों से,
जहां खडी हो वहीं व्योम भर जाए श्वेत फूलों से।
दर्पण जिसमें, प्रकृति रूप अपना देखा करती है;
वह सौंदर्य, कला जिसका सपना देखा करती है।
नहीं, उर्वशी नारि नहीं, आभा है निखिल भुवन की;
रूप नहीं, निष्कलुष कल्पना है स्रष्टा के मन की।
('उर्वशी)
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217