(जन्म 1916 ई.)
शिवमंगलसिंह 'सुमन का जन्म उन्नाव जिले के झगरपुर ग्राम में हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. किया। ये विक्रम विश्वविद्यांलय, उज्जैन में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष, पश्चात कुलपति नियुक्त हुए। उ.प्र. हिन्दी संस्थान के सचिव बने। वहां से अवकाश लेकर सम्प्रति स्वतंत्र लेखन में संलग्न हैं। 'सुमन की कविता सरल और प्रभावकारी है और काव्य पाठ श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर लेता है। मुख्य काव्य-संग्रह 'हिल्लोल, 'जीवन के गान, 'विंध्य हिमालय, 'पर आंखें नहीं भरीं, 'विश्वास बढता ही गया तथा 'मिट्टी की बारात हैं। ये 'देव पुरस्कार तथा साहित्य आकदमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।
आभार
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जीवन अस्थिर अनजाने ही, हो जाता पथ पर मेल कहीं,
सीमित पग डग, लम्बी मंजिल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएं-बाएं सुख-दु:ख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
सांसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह-शब्द मिल गए, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर हुई।
पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
जो साथ न मेरा दे पाए, उनसे कब सूनी हुई डगर?
मैं भी न चलूं यदि तो भी क्या, राही मर लेकिन राह अमर।
इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गए स्वाद-
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद-
जिस जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।
विवशता
मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार
पथ ही मुड गया था।
गति मिली मैं चल पडा
पथ पर कहीं रुकना मना था,
राह अनदेखी, अजाना देश
संगी अनसुना था।
चांद सूरज की तरह चलता
न जाना रात-दिन है,
किस तरह हम तुम गए मिल
आज भी कहना कठिन है,
तन न आया मांगने अभिसार
मन ही जुड गया था।
देख मेरे पंख चल, गतिमय
लता भी लहलहाई
पत्र आंचल में छिपाए मुख
कली भी मुस्कुराई।
एक क्षण को थम गए डैने
समझ विश्राम का पल
पर प्रबल संघर्ष बनकर
आ गई आंधी सदल-बल।
डाल झूमी, पर न टूटी
किन्तु पंछी उड गया था
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217