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हिन्दी के कवि

स्वामी हरिदास

(1490-1575 ई. अनुमानित)

हरिदास कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे, जिसे हरिदासी संप्रदाय भी कहते हैं। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। इनकी छाप रसिक है। इनके जन्म स्थान और गुरु के विषय में कई मत प्रचलित हैं। हरिदास स्वामी वैेष्णव भक्त थे तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे। प्रसिध्द गायक तानसेन इनके शिष्य थे। सम्राट अकबर इनके दर्शन करने वृंदावन गए थे। 'केलिमाल में इनके सौ से अधिक पद संग्रहित हैं। इनकी वाणी सरस और भावुक है। ये प्रेमी भक्त थे।


पद


तिनका बयारि के बस।
ज्यौं भावै त्यौं उडाइ लै जाइ आपने रस॥
ब्रह्मलोक सिवलोक और लोक अस।
कह 'हरिदास बिचारि देख्यो, बिना बिहारी नहीं जस॥

जौं लौं जीवै तौं लौं हरि भजु, और बात सब बादि।
दिवस चारि को हला भला, तू कहा लेइगो लादि॥
मायामद, गुनमद, जोबनमद, भूल्यो नगर बिबादि।
कहि 'हरिदास लोभ चरपट भयो, काहे की लागै फिरादि॥

गहौ मन सब रस को रस सार।
लोक वेद कुल करमै तजिये, भजिये नित्य बिहार॥
गृह, कामिनि, कंचन धन त्यागौ, सुमिरौ स्याम उदार।
कहि 'हरिदास रीति संतन की, गादी को अधिकार॥

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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