मुंशी प्रेमचंद - गोदान

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गोदान

भाग-29

पेज-288

नोहरी उन औरतों में न थी, जो नेकी करके दरिया में डाल देती हैं। उसने नेकी की है, तो उसका खूब ढिंढोरा पीटेगी और उससे जितना यश मिल सकता है, उससे कुछ ज्यादा ही पाने के लिए हाथ-पाँव मारेगी। ऐसे आदमी को यश के बदले अपयश और बदनामी ही मिलती है। नेकी न करना बदनामी की बात नहीं। अपनी इच्छा नहीं है, या सामर्थ्य नहीं है। इसके लिए कोई हमें बुरा नहीं कह सकता। मगर जब हम नेकी करके उसका एहसान जताने लगते हैं, तो वही जिसके साथ हमने नेकी की थी, हमारा शत्रु हो जाता है, और हमारे एहसान को मिटा देना चाहता है। वही नेकी अगर करने वाले के दिल में रहे, तो नेकी है, बाहर निकल आए तो बदी है। नोहरी चारों ओर कहती फिरती थी - बेचारा होरी बड़ी मुसीबत में था। बेटी के ब्याह के लिए जमीन रेहन रख रहा था। मैंने उसकी यह दसा देखी, तो मुझे दया आई। धनिया से तो जी जलता था, वह राँड़ तो मारे घमंड के धरती पर पाँव ही नहीं रखती। बेचारा होरी चिंता से घुला जाता था। मैंने सोचा, इस संकट में इसकी कुछ मदद कर दूँ। आखिर आदमी ही तो आदमी के काम आता है। और होरी तो अब कोई गैर नहीं है, मानो चाहे न मानो, वह हमारे नातेदार हो चुके। रुपए निकाल कर दे दिए, नहीं लड़की अब तक बैठी रहती।

धनिया भला यह जीट कब सुनने लगी थी। रुपए खैरात दिए थे? बड़ी खैरात देने वाली। सूद महाजन भी लेगा, तुम भी लोगी। एहसान काहे का! दूसरों को देती, सूद की जगह मूल भी गायब हो जाता, हमने लिया है, तो हाथ में रुपए आते ही नाक पर रख देंगे। हमीं थे कि तुम्हारे घर का बिस उठाके पी गए, और कभी मुँह पर नहीं लाए। कोई यहाँ द्वार पर नहीं खड़ा होने देता था। हमने तुम्हारा मरजाद बना लिया, तुम्हारे मुँह की लाली रख ली।

रात के दस बज गए थे। सावन की अंधेरी घटा छाई थी। सारे गाँव में अंधकार था। होरी ने भोजन करके तमाखू पिया और सोने जा रहा था कि भोला आ कर खड़ा हो गया।

होरी ने पूछा - कैसे चले भोला महतो! जब इसी गाँव में रहना है तो क्यों अलग छोटा-सा घर नहीं बना लेते? गाँव में लोग कैसी-कैसी कुत्सा उड़ाया करते हैं, क्या यह तुम्हें अच्छा लगता है? बुरा न मानना, तुमसे संबंध हो गया है, इसलिए तुम्हारी बदनामी नहीं सुनी जाती, नहीं मुझे क्या करना था।

धनिया उसी समय लोटे में पानी ले कर होरी के सिरहाने रखने आई। सुन कर बोली - दूसरा मरद होता, तो ऐसी औरत का सिर काट लेता।

होरी ने डाँटा - क्यों बे-बात की बात करती है। पानी रख दे और जा सो। आज तू ही कुराह चलने लगे, तो मैं तेरा सिर काट लूँगा? काटने देगी?

 

 

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