कुछ दूर तक पथरीली पगडंडी पर मेहता के साथ चलने के बाद मालती ने कहा - तुम तो चले ही जाते हो। जरा दम ले लेने दो। मेहता मुस्कराए - अभी तो हम एक मील भी नहीं आए। अभी से थक गईं? 'थकी नहीं, लेकिन क्यों न जरा दम ले लो।' 'जब तक कोई शिकार हाथ न आ जाय, हमें आराम करने का अधिकार नहीं।' 'मैं शिकार खेलने न आई थी।' मेहता ने अनजान बन कर कहा - अच्छा, यह मैं न जानता था। फिर क्या करने आई थीं? 'अब तुमसे क्या बताऊँ।' हिरनों का एक झुंड चरता हुआ नजर आया। दोनों एक चट्टान की आड़ में छिप गए और निशाना बाँध कर गोली चलाई। निशाना खाली गया। झुंड भाग निकला। मालती ने पूछा - अब? 'कुछ नहीं, चलो फिर कोई शिकार मिलेगा।' दोनों कुछ देर तक चुपचाप चलते रहे। फिर मालती ने जरा रुक कर कहा - गरमी के मारे बुरा हाल हो रहा है। आओ, इस वृक्ष के नीचे बैठ जायँ। 'अभी नहीं। तुम बैठना चाहती हो, तो बैठो। मैं तो नहीं बैठता।' 'बड़े निर्दयी हो तुम। सच कहती हूँ।' 'जब तक कोई शिकार न मिल जाय, मैं बैठ नहीं सकता। 'तब तो तुम मुझे मार ही डालोगे। अच्छा बताओ, रात तुमने मुझे इतना क्यों सताया? मुझे तुम्हारे ऊपर बड़ा क्रोध आ रहा था। याद है, तुमने मुझे क्या कहा था तुम हमारे साथ चलेगा दिलदार? मैं न जानती थी, तुम इतने शरीर हो। अच्छा, सच कहना, तुम उस वक्त मुझे अपने साथ ले जाते?' मेहता ने कोई जवाब न दिया, मानो सुना ही नहीं। दोनों कुछ दूर चलते रहे। एक तो जेठ की धूप, दूसरे पथरीला रास्ता। मालती थक कर बैठ गई। मेहता खड़े-खड़े बोले - अच्छी बात है, तुम आराम कर लो। मैं यहीं आ जाऊँगा। 'मुझे अकेले छोड़ कर चले जाओगे?' 'मैं जानता हूँ, तुम अपने रक्षा कर सकती हो!' 'कैसे जानते हो?' 'नए युग की देवियों की यही सिफत है। वह मर्द का आश्रय नहीं चाहतीं, उससे कंधा मिला कर चलना चाहती हैं।' मालती ने झेंपते हुए कहा - तुम कोरे फिलासफर हो मेहता, सच। सामने वृक्ष पर एक मोर बैठा हुआ था। मेहता ने निशाना साधा और बंदूक चलाई। मोर उड़ गया। मालती प्रसन्न हो कर बोली - बहुत अच्छा हुआ। मेरा शाप पड़ा। मेहता ने बंदूक कंधों पर रख कर कहा - तुमने मुझे नहीं, अपने आपको शाप दिया। शिकार मिल जाता, तो मैं दस मिनट की मुहलत देता। अब तो तुमको फौरन चलना पड़ेगा। मालती उठ कर मेहता का हाथ पकड़ती हुई बोली - फिलासफरों के शायद हृदय नहीं होता। तुमने अच्छा किया, विवाह नहीं किया, उस गरीब को मार ही डालते। मगर मैं यों न छोडूँगी। तुम मुझे छोड़ कर नहीं जा सकते।
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