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मुंशी प्रेमचंद - कर्मभूमि
कर्मभूमि
तीसरा भाग - बारह
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सुखदा ने उनकी रोनी सूरत देखी, फिर भी उन पर व्यंग्य-प्रहार करने से न चूकी- किसी ने आपको यहां आते देख तो नहीं लिया, डॉक्टर साहब-
शान्तिकुमार ने इस व्यंग्य की चोट को विनोद से रोका-खूब देख-भालकर आया हूं। कोई यहां देख भी लेगा, तो कह दूंगा, रुपये उधार लेने आया हूं।
रेणुका ने डॉक्टर साहब से देवर का नाता जोड़ लिया था। आज सुखदा ने कल का वृत्तांत सुनाकर उसे डॉक्टर साहब को आड़े हाथों लेने की सामग्री दे दी थी, हालांकि अदृश्य रूप से डॉक्टर साहब के नीति-भेद का कारण वह खुद थीं। उन्हीं ने ट्रस्ट का भार उनके सिर पर रखकर उन्हें सचिंत कर दिया था।
उसने डॉक्टर का हाथ पकड़कर कुर्सी पर बैठाते हुए कहा-तो चूड़ियां पहनकर बैठो ना, यह मूंछें क्यों बढ़ा ली हैं-
शान्तिकुमार ने हंसते हुए कहा-मैं तैयार हूं, लेकिन मुझसे शादी करने के लिए तैयार रहिएगा। आपको मर्द बनना पड़ेगा।
रेणुका ताली बजाकर बोली-मैं तो बूढ़ी हुई लेकिन तुम्हारा खसम ऐसा ढूंढूंगी जो तुम्हें सात परदों के अंदर रखे और गालियों से बात करे। गहने मैं बनवा दूंगी। सिर में सिंदूर डालकर घूंघट निकाले रहना। पहले खसम खा लेगा, तो उसका जूठन मिलेगा, समझ गए, और उसे देवता का प्रसाद समझ कर खाना पड़ेगा। जरा भी नाक-भौं सिकोड़ी, तो कुलच्छनी कहलाओगे। उसके पांव दबाने पड़ेंगे, उसकी धोती छांटनी पड़ेगी। वह बाहर से आएगा तो उसके पांव धोने पड़ेंगे, और बच्चे भी जनने पड़ेंगे। बच्चे न हुए, तो वह दूसरा ब्याह कर लेगा फिर घर में लौंडी बनकर रहना पड़ेगा।
शान्तिकुमार पर लगातार इतनी चोटें पड़ीं कि हंसी भूल गई। मुंह जरा-सा निकल आया। मुर्दनी ऐसी छा गई जैसे मुंह बंध गया। जबड़े फैलाने से भी न फैलते थे। रेणुका ने उनकी दो-चार बार पहले भी हंसी की थी पर आज तो उन्हें रूलाकर छोड़ा। परिहास में औरत अजेय होती है, खासकर जब वह बूढ़ी हो।
उन्होंने घड़ी देखकर कहा-एक बज रहा है। आज तो हड़ताल अच्छी तरह रही।
रेणुका ने फिर चुटकी ली-आप तो घर में लेटे थे, आपको क्या खबर-
शान्तिकुमार ने अपनी कारगुजारी जताई-उन आराम से लेटने वालों में मैं नहीं हूं। हरेक आंदोलन में ऐसे आदमियों की भी जरूरत होती है, जो गुप्त रूप से उसकी मदद करते रहें। मैंने अपनी नीति बदल दी है और मुझे अनुभव हो रहा है कि इस तरह कुछ कम सेवा नहीं कर सकता। आज नौजवान-सभा के दस-बारह युवकों को तैनात कर आया हूं, नहीं इसकी चौथाई हड़ताल भी न होती।
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