अयोध्याकाण्ड
अयोध्याकाण्ड पेज 34
अमर नाग किंनर दिसिपाला। चित्रकूट आए तेहि काला।।
राम प्रनामु कीन्ह सब काहू। मुदित देव लहि लोचन लाहू।।
बरषि सुमन कह देव समाजू। नाथ सनाथ भए हम आजू।।
करि बिनती दुख दुसह सुनाए। हरषित निज निज सदन सिधाए।।
चित्रकूट रघुनंदनु छाए। समाचार सुनि सुनि मुनि आए।।
आवत देखि मुदित मुनिबृंदा। कीन्ह दंडवत रघुकुल चंदा।।
मुनि रघुबरहि लाइ उर लेहीं। सुफल होन हित आसिष देहीं।।
सिय सौमित्र राम छबि देखहिं। साधन सकल सफल करि लेखहिं।।
दो0-जथाजोग सनमानि प्रभु बिदा किए मुनिबृंद।
करहि जोग जप जाग तप निज आश्रमन्हि सुछंद।।134।।
यह सुधि कोल किरातन्ह पाई। हरषे जनु नव निधि घर आई।।
कंद मूल फल भरि भरि दोना। चले रंक जनु लूटन सोना।।
तिन्ह महँ जिन्ह देखे दोउ भ्राता। अपर तिन्हहि पूँछहि मगु जाता।।
कहत सुनत रघुबीर निकाई। आइ सबन्हि देखे रघुराई।।
करहिं जोहारु भेंट धरि आगे। प्रभुहि बिलोकहिं अति अनुरागे।।
चित्र लिखे जनु जहँ तहँ ठाढ़े। पुलक सरीर नयन जल बाढ़े।।
राम सनेह मगन सब जाने। कहि प्रिय बचन सकल सनमाने।।
प्रभुहि जोहारि बहोरि बहोरी। बचन बिनीत कहहिं कर जोरी।।
दो0-अब हम नाथ सनाथ सब भए देखि प्रभु पाय।
भाग हमारे आगमनु राउर कोसलराय।।135।।
धन्य भूमि बन पंथ पहारा। जहँ जहँ नाथ पाउ तुम्ह धारा।।
धन्य बिहग मृग काननचारी। सफल जनम भए तुम्हहि निहारी।।
हम सब धन्य सहित परिवारा। दीख दरसु भरि नयन तुम्हारा।।
कीन्ह बासु भल ठाउँ बिचारी। इहाँ सकल रितु रहब सुखारी।।
हम सब भाँति करब सेवकाई। करि केहरि अहि बाघ बराई।।
बन बेहड़ गिरि कंदर खोहा। सब हमार प्रभु पग पग जोहा।।
तहँ तहँ तुम्हहि अहेर खेलाउब। सर निरझर जलठाउँ देखाउब।।
हम सेवक परिवार समेता। नाथ न सकुचब आयसु देता।।
दो0-बेद बचन मुनि मन अगम ते प्रभु करुना ऐन।
बचन किरातन्ह के सुनत जिमि पितु बालक बैन।।136।।
रामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जाननिहारा।।
राम सकल बनचर तब तोषे। कहि मृदु बचन प्रेम परिपोषे।।
बिदा किए सिर नाइ सिधाए। प्रभु गुन कहत सुनत घर आए।।
एहि बिधि सिय समेत दोउ भाई। बसहिं बिपिन सुर मुनि सुखदाई।।
जब ते आइ रहे रघुनायकु। तब तें भयउ बनु मंगलदायकु।।
फूलहिं फलहिं बिटप बिधि नाना।।मंजु बलित बर बेलि बिताना।।
सुरतरु सरिस सुभायँ सुहाए। मनहुँ बिबुध बन परिहरि आए।।
गंज मंजुतर मधुकर श्रेनी। त्रिबिध बयारि बहइ सुख देनी।।
दो0-नीलकंठ कलकंठ सुक चातक चक्क चकोर।
भाँति भाँति बोलहिं बिहग श्रवन सुखद चित चोर।।137।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217