अयोध्याकाण्ड
अयोध्याकाण्ड पेज 58
बिषई जीव पाइ प्रभुताई। मूढ़ मोह बस होहिं जनाई।।
भरतु नीति रत साधु सुजाना। प्रभु पद प्रेम सकल जगु जाना।।
तेऊ आजु राम पदु पाई। चले धरम मरजाद मेटाई।।
कुटिल कुबंध कुअवसरु ताकी। जानि राम बनवास एकाकी।।
करि कुमंत्रु मन साजि समाजू। आए करै अकंटक राजू।।
कोटि प्रकार कलपि कुटलाई। आए दल बटोरि दोउ भाई।।
जौं जियँ होति न कपट कुचाली। केहि सोहाति रथ बाजि गजाली।।
भरतहि दोसु देइ को जाएँ। जग बौराइ राज पदु पाएँ।।
दो0-ससि गुर तिय गामी नघुषु चढ़ेउ भूमिसुर जान।
लोक बेद तें बिमुख भा अधम न बेन समान।।228।।
सहसबाहु सुरनाथु त्रिसंकू। केहि न राजमद दीन्ह कलंकू।।
भरत कीन्ह यह उचित उपाऊ। रिपु रिन रंच न राखब काऊ।।
एक कीन्हि नहिं भरत भलाई। निदरे रामु जानि असहाई।।
समुझि परिहि सोउ आजु बिसेषी। समर सरोष राम मुखु पेखी।।
एतना कहत नीति रस भूला। रन रस बिटपु पुलक मिस फूला।।
प्रभु पद बंदि सीस रज राखी। बोले सत्य सहज बलु भाषी।।
अनुचित नाथ न मानब मोरा। भरत हमहि उपचार न थोरा।।
कहँ लगि सहिअ रहिअ मनु मारें। नाथ साथ धनु हाथ हमारें।।
दो0-छत्रि जाति रघुकुल जनमु राम अनुग जगु जान।
लातहुँ मारें चढ़ति सिर नीच को धूरि समान।।229।।
उठि कर जोरि रजायसु मागा। मनहुँ बीर रस सोवत जागा।।
बाँधि जटा सिर कसि कटि भाथा। साजि सरासनु सायकु हाथा।।
आजु राम सेवक जसु लेऊँ। भरतहि समर सिखावन देऊँ।।
राम निरादर कर फलु पाई। सोवहुँ समर सेज दोउ भाई।।
आइ बना भल सकल समाजू। प्रगट करउँ रिस पाछिल आजू।।
जिमि करि निकर दलइ मृगराजू। लेइ लपेटि लवा जिमि बाजू।।
तैसेहिं भरतहि सेन समेता। सानुज निदरि निपातउँ खेता।।
जौं सहाय कर संकरु आई। तौ मारउँ रन राम दोहाई।।
दो0-अति सरोष माखे लखनु लखि सुनि सपथ प्रवान।
सभय लोक सब लोकपति चाहत भभरि भगान।।230।।
जगु भय मगन गगन भइ बानी। लखन बाहुबलु बिपुल बखानी।।
तात प्रताप प्रभाउ तुम्हारा। को कहि सकइ को जाननिहारा।।
अनुचित उचित काजु किछु होऊ। समुझि करिअ भल कह सबु कोऊ।।
सहसा करि पाछैं पछिताहीं। कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।
सुनि सुर बचन लखन सकुचाने। राम सीयँ सादर सनमाने।।
कही तात तुम्ह नीति सुहाई। सब तें कठिन राजमदु भाई।।
जो अचवँत नृप मातहिं तेई। नाहिन साधुसभा जेहिं सेई।।
सुनहु लखन भल भरत सरीसा। बिधि प्रपंच महँ सुना न दीसा।।
दो0-भरतहि होइ न राजमदु बिधि हरि हर पद पाइ।।
कबहुँ कि काँजी सीकरनि छीरसिंधु बिनसाइ।।231।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217