Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस

रामचरित मानस

बालकाण्ड

बालकाण्ड पेज 21

सुनहु सभासद सकल मुनिंदा। कही सुनी जिन्ह संकर निंदा।।
सो फलु तुरत लहब सब काहूँ। भली भाँति पछिताब पिताहूँ।।
संत संभु श्रीपति अपबादा। सुनिअ जहाँ तहँ असि मरजादा।।
काटिअ तासु जीभ जो बसाई। श्रवन मूदि न त चलिअ पराई।।
जगदातमा महेसु पुरारी। जगत जनक सब के हितकारी।।
पिता मंदमति निंदत तेही। दच्छ सुक्र संभव यह देही।।
तजिहउँ तुरत देह तेहि हेतू। उर धरि चंद्रमौलि बृषकेतू।।
अस कहि जोग अगिनि तनु जारा। भयउ सकल मख हाहाकारा।।

दो0-सती मरनु सुनि संभु गन लगे करन मख खीस।
जग्य बिधंस बिलोकि भृगु रच्छा कीन्हि मुनीस।।64।।


समाचार सब संकर पाए। बीरभद्रु करि कोप पठाए।।
जग्य बिधंस जाइ तिन्ह कीन्हा। सकल सुरन्ह बिधिवत फलु दीन्हा।।
भे जगबिदित दच्छ गति सोई। जसि कछु संभु बिमुख कै होई।।
यह इतिहास सकल जग जानी। ताते मैं संछेप बखानी।।
सतीं मरत हरि सन बरु मागा। जनम जनम सिव पद अनुरागा।।
तेहि कारन हिमगिरि गृह जाई। जनमीं पारबती तनु पाई।।
जब तें उमा सैल गृह जाईं। सकल सिद्धि संपति तहँ छाई।।
जहँ तहँ मुनिन्ह सुआश्रम कीन्हे। उचित बास हिम भूधर दीन्हे।। 
     
दो0-सदा सुमन फल सहित सब द्रुम नव नाना जाति।
प्रगटीं सुंदर सैल पर मनि आकर बहु भाँति।।65।।


सरिता सब पुनित जलु बहहीं। खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं।।
सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा। गिरि पर सकल करहिं अनुरागा।।
सोह सैल गिरिजा गृह आएँ। जिमि जनु रामभगति के पाएँ।।
नित नूतन मंगल गृह तासू। ब्रह्मादिक गावहिं जसु जासू।।
नारद समाचार सब पाए। कौतुकहीं गिरि गेह सिधाए।।
सैलराज बड़ आदर कीन्हा। पद पखारि बर आसनु दीन्हा।।
नारि सहित मुनि पद सिरु नावा। चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा।।
निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना। सुता बोलि मेली मुनि चरना।।

दो0-त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि।।
कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयँ बिचारि।।66।।


कह मुनि बिहसि गूढ़ मृदु बानी। सुता तुम्हारि सकल गुन खानी।।
सुंदर सहज सुसील सयानी। नाम उमा अंबिका भवानी।।
सब लच्छन संपन्न कुमारी। होइहि संतत पियहि पिआरी।।
सदा अचल एहि कर अहिवाता। एहि तें जसु पैहहिं पितु माता।।
होइहि पूज्य सकल जग माहीं। एहि सेवत कछु दुर्लभ नाहीं।।
एहि कर नामु सुमिरि संसारा। त्रिय चढ़हहिँ पतिब्रत असिधारा।।
सैल सुलच्छन सुता तुम्हारी। सुनहु जे अब अवगुन दुइ चारी।।
अगुन अमान मातु पितु हीना। उदासीन सब संसय छीना।।

दो0-जोगी जटिल अकाम मन नगन अमंगल बेष।।
अस स्वामी एहि कहँ मिलिहि परी हस्त असि रेख।।67।।

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217