बालकाण्ड
बालकाण्ड पेज 6
एहि प्रकार बल मनहि देखाई। करिहउँ रघुपति कथा सुहाई।।
ब्यास आदि कबि पुंगव नाना। जिन्ह सादर हरि सुजस बखाना।।
चरन कमल बंदउँ तिन्ह केरे। पुरवहुँ सकल मनोरथ मेरे।।
कलि के कबिन्ह करउँ परनामा। जिन्ह बरने रघुपति गुन ग्रामा।।
जे प्राकृत कबि परम सयाने। भाषाँ जिन्ह हरि चरित बखाने।।
भए जे अहहिं जे होइहहिं आगें। प्रनवउँ सबहिं कपट सब त्यागें।।
होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू।।
जो प्रबंध बुध नहिं आदरहीं। सो श्रम बादि बाल कबि करहीं।।
कीरति भनिति भूति भलि सोई। सुरसरि सम सब कहँ हित होई।।
राम सुकीरति भनिति भदेसा। असमंजस अस मोहि अँदेसा।।
तुम्हरी कृपा सुलभ सोउ मोरे। सिअनि सुहावनि टाट पटोरे।।
दो0-सरल कबित कीरति बिमल सोइ आदरहिं सुजान।
सहज बयर बिसराइ रिपु जो सुनि करहिं बखान।।14(क)।।
सो न होइ बिनु बिमल मति मोहि मति बल अति थोर।
करहु कृपा हरि जस कहउँ पुनि पुनि करउँ निहोर।।14(ख)।।
कबि कोबिद रघुबर चरित मानस मंजु मराल।
बाल बिनय सुनि सुरुचि लखि मोपर होहु कृपाल।।14(ग)।।
सो0-बंदउँ मुनि पद कंजु रामायन जेहिं निरमयउ।
सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित।।14(घ)।।
बंदउँ चारिउ बेद भव बारिधि बोहित सरिस।
जिन्हहि न सपनेहुँ खेद बरनत रघुबर बिसद जसु।।14(ङ)।।
बंदउँ बिधि पद रेनु भव सागर जेहि कीन्ह जहँ।
संत सुधा ससि धेनु प्रगटे खल बिष बारुनी।।14(च)।।
दो0-बिबुध बिप्र बुध ग्रह चरन बंदि कहउँ कर जोरि।
होइ प्रसन्न पुरवहु सकल मंजु मनोरथ मोरि।।14(छ)।।
पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता।।
मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका।।
गुर पितु मातु महेस भवानी। प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी।।
सेवक स्वामि सखा सिय पी के। हित निरुपधि सब बिधि तुलसीके।।
कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा। साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा।।
अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू।।
सो उमेस मोहि पर अनुकूला। करिहिं कथा मुद मंगल मूला।।
सुमिरि सिवा सिव पाइ पसाऊ। बरनउँ रामचरित चित चाऊ।।
भनिति मोरि सिव कृपाँ बिभाती। ससि समाज मिलि मनहुँ सुराती।।
जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनिहहिं समुझि सचेता।।
होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलि मल रहित सुमंगल भागी।।
दो0-सपनेहुँ साचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ।
तौ फुर होउ जो कहेउँ सब भाषा भनिति प्रभाउ।।15।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217