एक मनुष्य ने अपने घर में एक चोर को देखा और जब वह निकलकर भागा तो उसके पीछे दौड़ा कि देह थककर चूर-चूर हो गयी। जब चोर के इतना पास पहुंच गया कि उसको पकड़ ले तो दूसरे चोर ने पुकारकर कहा, ‘‘अरे मियां! यहां आओ। यहां तो देखों कि यहां कितने निशान मौजूद हैं। जल्दी लौटकर आओ।’’
गृहस्वामी ने यह आवाज सुनी तो उसे डर लगने लगा। सोचने लगा, शायद दूसरे चोर ने किसी को मार डाला है या हो सकता है, वह मुझपर भी पीछे से टूट पड़। हो सकता है कि बाल-बच्चों पर भी हाथ साफ करे। तो फिर इस चोर के पकड़ने से क्या लाभ होगा?
यह सोचकर पहले चोर का पीछा करना छोड़ दिया और लौटकर वापस आया और उस आदमी से पूछा, ‘‘दोस्त! क्या बात है? तुम क्यों चिल्ला रहे थे?’’
वह कहने लगा, ‘‘यह देखिए चोर के पैरों के निशान। वह दुष्ट अवश्य इस रास्ते से भागकर गया है। यह खोज मॉजूद है। बस, इसीको देखते-भालते उसके पीछे चले जाओ।’’
गृहस्वामी ने कहा, ‘‘अरे मूर्ख! मुझे खोज क्या बताता है। मैंने असली चोर को दबा लिया था। तेरी चीख-चिल्लाहट सुनकर उसे छोड़ दिया। अरे बेवकूफ! यह तू क्या बेहूदा बक-वाद करता है। मैं तो लक्ष्य को पहुंच चुका था। भला निशान क्या चीज है! या तो तू गुण्डा है या बिल्कुल मूर्ख है। हो सकता है कि चोर तू ही हो और यह सब हाल तुझे मालूम हो।’’
[मनष्य को अधिक लाभ का लालच देकर असली भलाई को रोका जा सकता है। इस तरह लाभ के बजाय हानि उठानी पड़ती है।]
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217