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जलालुद्दीन रूमी की कहानी - ईंट की दीवार

जलालुद्दीन रूमी की कहानी - ईंट की दीवार

एक नदी के किनारे पर ऊंची दीवार थी। उसपर एक प्यासा आदमी बैठा हुआ था। बिना पानी के उसके प्राण निकले जा रहे थे। दीवार पानी तक पहुंचने में रुकावट डालती थी और वह प्यास के मारे व्याकुल हो रहा था। उसने दीवार की एक ईंट उखाड़कर पानी में जो फेंकी तो पानी की आवाज कान में आयी। वह आवाज भी उसे ऐसी प्यारी लगी, जैसे प्रेमपात्र की आवाज होती है। इसी एक आवाज ने शराब की सी मस्ती पैदा कर दी।
उस दुखियारे को पानी की ध्वनि में इतना आनन्द आया कि वह दीवार में से ईंटें उखाड़कर पानी में फेंकने लगा। पानी की यह दशा थी, मानो वह कह रहा था कि ऐ भद्र परुष, भला मेरे ईंटें मारने से तुझे क्या लाभ? प्यासा भी मानो अपनी दशा से यह प्रकट कर रहा था कि मेरे इसमें दो लाभ हैं। इसलिए मैं इस काम से कभी हाथ नहीं रोकूंगा। पहला लाभ तो पानी की आवाज का सुनना है। यह प्यासों के लिए रबाब (एक प्रकार का बाजा) की आवाज से अधिक मधुर है। दूसरा लाभ यह है कि जितनी ईंटें मैं इस दीवार की उखाड़ता जाता हूं, उतना ही निर्मल जल के निकट होता जाता हूं, क्योंकि इस ऊंची दीवार से जितनी ईंटें उखड़ती जायेंगी, उतनी ही दीवार नीची होती चली जायेगी। दीवार का नीचा होना पानी के निकट होना है।’’

        [ईंटों की चिनाई का उखाड़ना वन्दना (प्रणति) है। जबतक इस दीवार की गर्दन ऊंची हे, वह सिर को झुकाने नहीं देती। इसलिए जबतक इस पंच भौतिक शरीर से मुक्ति न प्राप्त हो, अमृत (अमर जीवन) के आगे सिर नहीं झुक सकता। इस यौवन के महत्व को समझकर सिर झुकाना चाहिए और बुढ़ापा आने से पहले यानी उस समय से पहले जब कि तेरी गर्दन बढ़ी हुई रस्सी से बंध जायेगी और बुरी आदतों की जड़ें ऐसी मजबूत हो जायेंगी कि उनके उखाड़ने की ताकत न रहे, अपनी दीवार (दुर्वासनाओं) के ढेलों और ईंटों को उखाड़कर फेंक दे।]

रूमी की कहानियाँ

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

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