मौर्य शासन
भारत में सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासनकाल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता स्थापित हुइ थी। मौर्य प्रशासन में सत्ता का सुदृढ़ केन्द्रीयकरण था परन्तु राजा निरंकुश नहीं होता था। मौर्य काल में गणतन्त्र का ह्रास हुआ और राजतन्त्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ हुई। कौटिल्य ने राज्य सप्तांक सिद्धान्त निर्दिष्ट किया था, जिनके आधार पर मौर्य प्रशासन और उसकी गृह तथा विदेश नीति संचालित होती थी -राजा,अमात्य जनपद , दुर्ग , कोष, सेना और,मित्र।
सैन्य व्यवस्था- सैन्य व्यवस्था छः समितियों में विभक्तत सैन्य विभाग द्वारा निर्दिष्ट थी । प्रत्येक समिति में पाँच सैन्य विशेषज्ञ होते थे ।
पैदल सेना, अश्वी सेना, गज सेना, रथ सेना तथा नौ सेना की व्यवस्था थी ।
सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी अन्तपाल कहलाता था । यह सीमान्त क्षेत्रों का भी व्यवस्थापक होता था । मेगस्थनीज के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना छः लाख पैदल, पचास हजार अश्वाररोही, नौ हजार हाथी तथा आठ सौ रथों से सुसज्जित अजेय सैनिक थे ।
प्रान्तीय प्रशासन
चन्द्रगुप्त मौर्य ने शासन संचालन को सुचारु रूप से चलाने के लिए चार प्रान्तों में विभाजित कर दिया था जिन्हें चक्र कहा जाता था । इन प्रान्तों का शासन सम्राट के प्रतिनिधि द्वारा संचालित होता था । सम्राट अशोक के काल में प्रान्तों की संख्या पाँच हो गई थी । ये प्रान्त थे-
प्रान्त राजधानी
प्राची (मध्य देश)- पाटलिपुत्र
उत्तरापथ - तक्षशिला
दक्षिणापथ - सुवर्णगिरि
अवन्ति राष्ट्र - उज्जयिनी
कलिंग - तोलायी
प्रान्तों (चक्रों) का प्रशासन राजवंशीय कुमार (आर्य पुत्र) नामक पदाधिकारियों द्वारा होता था ।
कुमाराभाष्य की सहायता के लिए प्रत्येक प्रान्त में महापात्र नामक अधिकारी होते थे । शीर्ष पर साम्राज्य का केन्द्रीय प्रभाग तत्पश्चानत् प्रान्त आहार (विषय) में विभक्तर था । ग्राम प्रशासन की निम्न इकाई था, १०० ग्राम के समूह को संग्रहण कहा जाता था ।
आहार विषयपति के अधीन होता था । जिले के प्रशासनिक अधिकारी स्थानिक था । गोप दस गाँव की व्यवस्था करता था ।
नगर प्रशासन मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य शासन की नगरीय प्रशासन छः समिति में विभक्ती था ।
प्रथम समिति- उद्योग शिल्पों का निरीक्षण करता था ।
द्वितीय समिति- विदेशियों की देखरेख करता है ।
तृतीय समिति- जनगणना ।
चतुर्थ समिति- व्यापार वाणिज्य की व्यवस्था ।
पंचम समिति- विक्रय की व्यवस्था, निरीक्षण ।
षष्ठ समिति- बिक्री कर व्यवस्था ।
नगर में अनुशासन बनाये रखने के लिए तथा अपराधों पर नियन्त्रण रखने हेतु पुलिस व्यवस्था थी जिसे रक्षित कहा जाता था ।
यूनानी स्त्रोतों से ज्ञात होता है कि नगर प्रशासन में तीन प्रकार के अधिकारी होते थे-एग्रोनोयोई (जिलाधिकारी), एण्टीनोमोई (नगर आयुक्ती), सैन्य अधिकार ।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217