मुंशी प्रेमचंद - प्रेमा

दसवाँ अध्याय - विवाह हो गया

पेज- 65

भीतर तो शादी हो रही थी, बाहर हज़ारों आदमी लाठियॉँ और सोंटे लिए गुल मचा रहे थे। पुलिसवाले उनको रोके हुए मकान के चौगिर्द खड़े थे। इसी बची में पुलिस का कप्तान भ आ पहुँचा। उसने आते ही हुक्म दिया कि भीड़ हटा दी जाय। और उसी दम पुलिसवालों ने सोंटों से मारमार कर इस भीड़ को हटाना शुरु किया। जंगी पुलिस ने डराने के लिए बन्दूकों की दो-चार बाढ़े हवा में सर कर दी। अब क्या था, चारो ओर भगदड़ मच गयी। लोग एक पर एक गिरने लगे। मगर ठीक उसी समय ठाकुर जोरावर सिंह बाँकी पगिया बॉँधें, रजपूती बाना सजे, दोहरी पिस्तौल लगाये दिखायी, दिया। उसकी मूँछें खड़ी थी। ऑंखों से अंगारे उड़ रहे थे। उसको देखते ही वह लोब जो छितिर-बिति हो रहे थे फिर इकट्ठा होने लगो। जैसे सरदार को देखकर भागती हुई सेना दम पकड़ ले। देखते ही देखते हज़ार आदमी से अधिक एकत्र हो गये। और तलवार के धनी ठाकुर ने एक बार कड़क कर कहा—‘जै दुर्गा जी की वहीं सारे दिलों में मानों बिजली कौंध गयी, जोश भड़क उठा। तेवरियों पर बल पड़ गये और सब के सब नद की तरह उमड़ते हुए आगे को बढ़े। जंगी पुलिसवाले भी संगीने चढ़ाये, साफ़ बॉँधे, डटे खड़े थे। चारों ओर भयानक सन्नाटा छाया हुआ था। धड़का लगा हुआ था कि अब कोई दम में लोहू की नदी बहा चाहती है। कप्तान ने जब इस बाढ़ को अपने ऊपर आते देखा तो अपने सिपाहियों को ललकारा और बड़े जीवट से मैदान में आकर सवारों को उभारने लगा कि यकायक पिस्तौल की आवाज़ आयी और कप्तान की टोपी ज़मीन पर गिर पड़ी मगर घाव ओछा लगा। कप्तान ने देख लिया था। कि यह पिस्तौल जोरावर सिंह ने सर की है। उसने भी चट अपनी बन्दूक सँभाली ओर निशाने का लगाना था कि धॉँय से आवाज़ हुई ओर जोरावर सिंह चारों खाने चित्त जमीन पर आ रहा। उसके गिरते ही सबके हियाव छूट गये। वे भेड़ों की भॉँति भगाने लगे। जिसकी जिधर सींग समाई चल निकला। कोई आधा घण्टे में वहॉँ चिड़िया का पूत भी न दिखायी दिया।

बाहर तो यह उपद्रव मचा था, भीतर दुलहा-दुलहिन मारे डर के सूखे जाते थे। बाबू अमृतराय जी दम-दम की खबर मँगाते और थर-थर कॉँपती हुई पूर्णा को ढारस देते। वह बेचारी रो रही थी कि मुझ अभागिनी के लिए माथा पिटौवल हो रही है कि इतने में बन्दूक छूटी। या नारायण अब की किसकी जान गई। अमृतराय घबराकर उठे कि ज़रा बाहर जाकर देखें। मगर पूर्णा से हाथ न छुड़ा सके। इतने मेंएक आदमी ने फिर आकर कहा—बाबू साहब ठाकूर ढेर हो गये। कप्तान ने गोली मार दी।

 

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