मुंशी प्रेमचंद - प्रेमा

premchand

प्रेमा

पहला अध्याय- सच्ची उदारता

दूसरा अध्याय- जलन बुरी बला है

तीसरा अध्याय- झूठे मददगार

चौथा अध्याय- जवानी की मौत

पाँचवां अध्याय - अँय ! यह गजरा क्या हो गया? 

छठा अध्याय - मुये पर सौ दुर्रे

सातवां अध्याय - आज से कभी मन्दिर न जाऊँगी

आठवां अध्याय- कुछ और बातचीत

नौवां अध्याय - तुम सचमुच जादूगर हो 

दसवाँ अध्याय - विवाह हो गया 

ग्यारहवाँ अध्याय - विरोधियों का विरोध

बारहवाँ अध्याय - एक स्त्री के दो पुरूष नहीं हो सकते

तेरहवां अध्याय - शोकदायक घटना

 

 

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