अयोध्याकाण्ड
अयोध्याकाण्ड पेज 10
राम राम रट बिकल भुआलू। जनु बिनु पंख बिहंग बेहालू।।
हृदयँ मनाव भोरु जनि होई। रामहि जाइ कहै जनि कोई।।
उदउ करहु जनि रबि रघुकुल गुर। अवध बिलोकि सूल होइहि उर।।
भूप प्रीति कैकइ कठिनाई। उभय अवधि बिधि रची बनाई।।
बिलपत नृपहि भयउ भिनुसारा। बीना बेनु संख धुनि द्वारा।।
पढ़हिं भाट गुन गावहिं गायक। सुनत नृपहि जनु लागहिं सायक।।
मंगल सकल सोहाहिं न कैसें। सहगामिनिहि बिभूषन जैसें।।
तेहिं निसि नीद परी नहि काहू। राम दरस लालसा उछाहू।।
दो0-द्वार भीर सेवक सचिव कहहिं उदित रबि देखि।
जागेउ अजहुँ न अवधपति कारनु कवनु बिसेषि।।37।।
पछिले पहर भूपु नित जागा। आजु हमहि बड़ अचरजु लागा।।
जाहु सुमंत्र जगावहु जाई। कीजिअ काजु रजायसु पाई।।
गए सुमंत्रु तब राउर माही। देखि भयावन जात डेराहीं।।
धाइ खाइ जनु जाइ न हेरा। मानहुँ बिपति बिषाद बसेरा।।
पूछें कोउ न ऊतरु देई। गए जेंहिं भवन भूप कैकैई।।
कहि जयजीव बैठ सिरु नाई। दैखि भूप गति गयउ सुखाई।।
सोच बिकल बिबरन महि परेऊ। मानहुँ कमल मूलु परिहरेऊ।।
सचिउ सभीत सकइ नहिं पूँछी। बोली असुभ भरी सुभ छूछी।।
दो0-परी न राजहि नीद निसि हेतु जान जगदीसु।
रामु रामु रटि भोरु किय कहइ न मरमु महीसु।।38।।
आनहु रामहि बेगि बोलाई। समाचार तब पूँछेहु आई।।
चलेउ सुमंत्र राय रूख जानी। लखी कुचालि कीन्हि कछु रानी।।
सोच बिकल मग परइ न पाऊ। रामहि बोलि कहिहि का राऊ।।
उर धरि धीरजु गयउ दुआरें। पूछँहिं सकल देखि मनु मारें।।
समाधानु करि सो सबही का। गयउ जहाँ दिनकर कुल टीका।।
रामु सुमंत्रहि आवत देखा। आदरु कीन्ह पिता सम लेखा।।
निरखि बदनु कहि भूप रजाई। रघुकुलदीपहि चलेउ लेवाई।।
रामु कुभाँति सचिव सँग जाहीं। देखि लोग जहँ तहँ बिलखाहीं।।
दो0-जाइ दीख रघुबंसमनि नरपति निपट कुसाजु।।
सहमि परेउ लखि सिंघिनिहि मनहुँ बृद्ध गजराजु।।39।।
सूखहिं अधर जरइ सबु अंगू। मनहुँ दीन मनिहीन भुअंगू।।
सरुष समीप दीखि कैकेई। मानहुँ मीचु घरी गनि लेई।।
करुनामय मृदु राम सुभाऊ। प्रथम दीख दुखु सुना न काऊ।।
तदपि धीर धरि समउ बिचारी। पूँछी मधुर बचन महतारी।।
मोहि कहु मातु तात दुख कारन। करिअ जतन जेहिं होइ निवारन।।
सुनहु राम सबु कारन एहू। राजहि तुम पर बहुत सनेहू।।
देन कहेन्हि मोहि दुइ बरदाना। मागेउँ जो कछु मोहि सोहाना।
सो सुनि भयउ भूप उर सोचू। छाड़ि न सकहिं तुम्हार सँकोचू।।
दो0-सुत सनेह इत बचनु उत संकट परेउ नरेसु।
सकहु न आयसु धरहु सिर मेटहु कठिन कलेसु।।40।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217