Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस

रामचरित मानस

अयोध्याकाण्ड

अयोध्याकाण्ड पेज 27

को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ।।
अस तीरथपति देखि सुहावा। सुख सागर रघुबर सुखु पावा।।
कहि सिय लखनहि सखहि  सुनाई। श्रीमुख तीरथराज बड़ाई।।
करि प्रनामु देखत बन बागा। कहत महातम अति अनुरागा।।
एहि बिधि आइ बिलोकी बेनी। सुमिरत सकल सुमंगल देनी।।
मुदित नहाइ कीन्हि सिव सेवा। पुजि जथाबिधि तीरथ देवा।।
तब प्रभु भरद्वाज पहिं आए। करत दंडवत मुनि उर लाए।।
मुनि मन मोद न कछु कहि जाइ। ब्रह्मानंद रासि जनु पाई।।  
  
दो0- दीन्हि असीस मुनीस उर अति अनंदु अस जानि।
लोचन गोचर सुकृत फल मनहुँ किए बिधि आनि।।106।।


कुसल प्रस्न करि आसन दीन्हे। पूजि प्रेम परिपूरन कीन्हे।।
कंद मूल फल अंकुर नीके। दिए आनि मुनि मनहुँ अमी के।।
सीय लखन जन सहित सुहाए। अति रुचि राम मूल फल खाए।।
भए बिगतश्रम रामु सुखारे। भरव्दाज मृदु बचन उचारे।।
आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू। आजु सुफल जप जोग बिरागू।।
सफल सकल सुभ साधन साजू। राम तुम्हहि अवलोकत आजू।।
लाभ अवधि सुख अवधि न दूजी। तुम्हारें दरस आस सब पूजी।।
अब करि कृपा देहु बर एहू। निज पद सरसिज सहज सनेहू।।

दो0-करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।
तब लगि सुखु सपनेहुँ नहीं किएँ कोटि उपचार।।107।।


सुनि मुनि बचन रामु सकुचाने। भाव भगति आनंद अघाने।।
तब रघुबर मुनि सुजसु सुहावा। कोटि भाँति कहि सबहि सुनावा।।
सो बड सो सब गुन गन गेहू। जेहि मुनीस तुम्ह आदर देहू।।
मुनि रघुबीर परसपर नवहीं। बचन अगोचर सुखु अनुभवहीं।।
यह सुधि पाइ प्रयाग निवासी। बटु तापस मुनि सिद्ध उदासी।।
भरद्वाज आश्रम सब आए। देखन दसरथ सुअन सुहाए।।
राम प्रनाम कीन्ह सब काहू। मुदित भए लहि लोयन लाहू।।
देहिं असीस परम सुखु पाई। फिरे सराहत सुंदरताई।।

दो0-राम कीन्ह बिश्राम निसि प्रात प्रयाग नहाइ।
चले सहित सिय लखन जन मुददित मुनिहि सिरु नाइ।।108।।


राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं। नाथ कहिअ हम केहि मग जाहीं।।
मुनि मन बिहसि राम सन कहहीं। सुगम सकल मग तुम्ह कहुँ अहहीं।।
साथ लागि मुनि सिष्य बोलाए। सुनि मन मुदित पचासक आए।।
सबन्हि राम पर प्रेम अपारा। सकल कहहि मगु दीख हमारा।।
मुनि बटु चारि संग तब दीन्हे। जिन्ह बहु जनम सुकृत सब कीन्हे।।
करि प्रनामु रिषि आयसु पाई। प्रमुदित हृदयँ चले रघुराई।।
ग्राम निकट जब निकसहि जाई। देखहि दरसु नारि नर धाई।।
होहि सनाथ जनम फलु पाई। फिरहि दुखित मनु संग पठाई।।

दो0-बिदा किए बटु बिनय करि फिरे पाइ मन काम।
उतरि नहाए जमुन जल जो सरीर सम स्याम।।109।।

 

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217