Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस

रामचरित मानस

अयोध्याकाण्ड

अयोध्याकाण्ड पेज 76

 

प्रभु पद पदुम पराग दोहाई। सत्य सुकृत सुख सीवँ सुहाई।।
सो करि कहउँ हिए अपने की। रुचि जागत सोवत सपने की।।
सहज सनेहँ स्वामि सेवकाई। स्वारथ छल फल चारि बिहाई।।
अग्या सम न सुसाहिब सेवा। सो प्रसादु जन पावै देवा।।
अस कहि प्रेम बिबस भए भारी। पुलक सरीर बिलोचन बारी।।
प्रभु पद कमल गहे अकुलाई। समउ सनेहु न सो कहि जाई।।
कृपासिंधु सनमानि सुबानी। बैठाए समीप गहि पानी।।
भरत बिनय सुनि देखि सुभाऊ। सिथिल सनेहँ सभा रघुराऊ।।

छं0-रघुराउ सिथिल सनेहँ साधु समाज मुनि मिथिला धनी।
मन महुँ सराहत भरत भायप भगति की महिमा घनी।।
भरतहि प्रसंसत बिबुध बरषत सुमन मानस मलिन से।
तुलसी बिकल सब लोग सुनि सकुचे निसागम नलिन से।।
सो0-देखि दुखारी दीन दुहु समाज नर नारि सब।
मघवा महा मलीन मुए मारि मंगल चहत।।301।।

कपट कुचालि सीवँ सुरराजू। पर अकाज प्रिय आपन काजू।।
काक समान पाकरिपु रीती। छली मलीन कतहुँ न प्रतीती।।
प्रथम कुमत करि कपटु सँकेला। सो उचाटु सब कें सिर मेला।।
सुरमायाँ सब लोग बिमोहे। राम प्रेम अतिसय न बिछोहे।।
भय उचाट बस मन थिर नाहीं। छन बन रुचि छन सदन सोहाहीं।।
दुबिध मनोगति प्रजा दुखारी। सरित सिंधु संगम जनु बारी।।
दुचित कतहुँ परितोषु न लहहीं। एक एक सन मरमु न कहहीं।।
लखि हियँ हँसि कह कृपानिधानू। सरिस स्वान मघवान जुबानू।।

दो0-भरतु जनकु मुनिजन सचिव साधु सचेत बिहाइ।
लागि देवमाया सबहि जथाजोगु जनु पाइ।।302।।


कृपासिंधु लखि लोग दुखारे। निज सनेहँ सुरपति छल भारे।।
सभा राउ गुर महिसुर मंत्री। भरत भगति सब कै मति जंत्री।।
रामहि चितवत चित्र लिखे से। सकुचत बोलत बचन सिखे से।।
भरत प्रीति नति बिनय बड़ाई। सुनत सुखद बरनत कठिनाई।।
जासु बिलोकि भगति लवलेसू। प्रेम मगन मुनिगन मिथिलेसू।।
महिमा तासु कहै किमि तुलसी। भगति सुभायँ सुमति हियँ हुलसी।।
आपु छोटि महिमा बड़ि जानी। कबिकुल कानि मानि सकुचानी।।
कहि न सकति गुन रुचि अधिकाई। मति गति बाल बचन की नाई।।

दो0-भरत बिमल जसु बिमल बिधु सुमति चकोरकुमारि।
उदित बिमल जन हृदय नभ एकटक रही निहारि।।303।।


भरत सुभाउ न सुगम निगमहूँ। लघु मति चापलता कबि छमहूँ।।
कहत सुनत सति भाउ भरत को। सीय राम पद होइ न रत को।।
सुमिरत भरतहि प्रेमु राम को। जेहि न सुलभ तेहि सरिस बाम को।।
देखि दयाल दसा सबही की। राम सुजान जानि जन जी की।।
धरम धुरीन धीर नय नागर। सत्य सनेह सील सुख सागर।।
देसु काल लखि समउ समाजू। नीति प्रीति पालक रघुराजू।।
बोले बचन बानि सरबसु से। हित परिनाम सुनत ससि रसु से।।
तात भरत तुम्ह धरम धुरीना। लोक बेद बिद प्रेम प्रबीना।।

दो0-करम बचन मानस बिमल तुम्ह समान तुम्ह तात।
गुर समाज लघु बंधु गुन कुसमयँ किमि कहि जात।।304।।

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217