Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

भारतीय संस्कृति में स्वतंत्र चेतना

भारतीय संस्कृति में स्वतंत्र चेतना

 

भारतीय संस्कृति की एक प्रमुख विशेषता स्वतंत्र चेतना (इन्ट्रोस्पेकशन) या गड़े मुर्दे उखाड़ना है। once defeated, always defeated; once converted, always converted; once convinced, always convinced जैसी स्थिति रोमण साम्राज्य में थी। अन्य समुदायों में भी रही है। यह भारत में नहीं रही है। खासकर पुरूषों में या स्वतंत्र औरतों में नहीं रही है। एकमात्र अपवाद भारतीय पत्नियां मानी जाती हैं। ओमकारा की कोंकणा सेन शर्मा जैसी स्वतंत्र चेता पत्नियां कम होती हैं। लेकिन crisis के समय में द्रौपदी (धुत क्रीड़ा वाली सभा में) जैसी पत्नियां भारत में रही हैं। खासकर धर्म के मामले में स्त्रियां अपने पतियों से स्वतंत्र आयाम करती रही हैं

।भारत में बहुत से लोग बहुत सी चीजें यूं ही कर लेते हैं। मूड में आया, या किसी ने कह दिया तो उसका मन रखने के लिए कर दिए। इसका यह मतलब नहीं है कि वे लोग लकीर के फकीर हो गए। सोच-समझ कर भी वही करेंगे या बाद में भी वही करते रहेंगे। भारत में प्रायश्यित या शुध्दि का भी विधान हैं।

 

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